बाड़मेर सुखी गृहस्थ जीवन के लिए शुरूआत से पहले समझदारी जरूरी: सरवटे
बाड़मेर।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लेकर राज्य सरकार के पूर्ण प्रयासों को बावजूद आशातीत सफलता प्राप्त नही हो रही है। जिसका एक मुख्य कारण प्रभावी सन्देशों का आदान प्रदान सही लाभार्थी तक नही हो पाना भी है। ग्रामीण ईलाकों में बाल विवाह भी एक कारण है जो मातृ और शिशु स्वास्थ्य के आकड़ों को प्रभावित किये हुए है। उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों को यदि प्रारम्भ से ही मातृ और शिशु स्वास्थ्य पर शिक्षित किया जाए तो आशातीत सफलता प्राप्त की जा सकती है।
इस हेतु रचना परियोजना द्वारा बाडमेर जिले में इस तरह की अनूठी पहल प्रारम्भ की जा चुकी है जिसमें कक्षा 11 एवं 12 के विधार्थियों को मातृ और शिशु स्वास्थ्य हेतु आवश्यक मुद्दों पर संवेदनशील बनाया जा रहा है।
रचना परियोजना के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर दिलीप सरवटे ने कहा कि इसकी शुरूआत हमें स्कूली छात्रों से करनी होगी, क्योंकि आगे जाकर जब इनकी शादी होगी, तक इन्हें भी मातृ और शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों को सामना करना पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि हम अभी से इन्हें उन संभावित चुनौतियों के प्रति सचेत करे, ताकि आज का ज्ञान इनके लिए भविष्य में काम आ सके। सरवटे ने कहा कि इस कार्यक्रम की सफलता से इन छात्रों का भविष्य सुरक्षित होने के साथ ही मातृ और शिशु स्वास्थ्य को लेकर दिनों-दिन गहरा रही चितांए भी घटेगी।
इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केयर्न इंडिया लिमिटेड के सीएसआर मैनेजर सुदंर राज ने कहा कि स्कूली छात्रों को मातृ और शिशु स्वास्थ्य को लेकर जागरूक करने से ना सिर्फ उनका भविष्य सुरिक्षत रहेगा, वरन वे आज भी अपने घर-परिवार और आस-पास के लोगों को इस दिशा में जागरूक कर वर्तमान में भी मातृ और शिशु स्वास्थ्य की बेहतरी की दिशा में मददगार साबित हो सकते है।
कार्यक्रम की उपयोगिता को बारे में बताते हुए राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय निम्बलकोट के प्रधानाचार्य दुर्गाराम मेहरा ने कहा की इन्सान दो तरह की गलतिया करता है, एक जानबुझ कर और दुसरी अनजानें में। उन्होनें कहा कि यह हर्ष का विषय है की रचना परियोजना द्वारा विधार्थियों को उन विषयों पर ध्यान आकृष्ट किया गया है जिससे विधार्थी अपने आगामी जीवन में अनजाने में कोई गलती ना करें।

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