केयर्न को नहीं मिली बाड़मेर से क्रूड के एक्सपोर्ट की अनुमति
नई दिल्ली 
देश में प्राइवेट सेक्टर की बड़ी ऑयल कंपनियों में शामिल केयर्न इंडिया लिमिटेड को राजस्थान में बाड़मेर ऑयलफील्ड से उसके हिस्से के क्रूड ऑयल का एक्सपोर्ट करने की अनुमति दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे नहीं दी। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जब तक भारत क्रूड के मामले में 'आत्मनिर्भरता' हासिल नहीं कर लेता तब तक देश में प्रॉडक्शन वाले क्रूड का एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता।
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि इस मामले में केयर्न ऑयलफील्ड से अपने हिस्से के क्रूड ऑयल को न उठाने के लिए सरकार से मुआवजे की मांग कर सकती है।
केयर्न और केंद्र सरकार के बीच प्रॉडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSC) के तहत कंपनी को बाड़मेर ऑयलफील्ड से क्रूड के प्रॉडक्शन में से 70 पर्सेंट मिलता है, जबकि बाकी सरकार के पास जाता है।
केयर्न की ओर से दी गई दलीलों में कहा गया था कि सरकार या उसका नॉमिनी क्रूड के कंपनी के हिस्से को ले सकते हैं और जिसे नहीं लिया जाता उसे प्राइवेट कंपनियों को बेचा या एक्सपोर्ट किया जा सकता है।
सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और केंद्र के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने केयर्न की इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एक एम्पावर्ड कमेटी ने फैसला किया है कि देश से क्रूड ऑयल के एक्सपोर्ट की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे देश की एनर्जी सिक्योरिटी को नुकसान होगा।
अदालत ने सेक्रेटरीज की एम्पावर्ड कमेटी के इस फैसले से सहमति जताई कि केयर्न को उसके हिस्से के क्रूड ऑयल के एक्सपोर्ट की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत का कहना था कि कमेटी की ओर से दिए गए कारण कानूनी और वैध आधारों पर हैं।
कोर्ट का यह भी मानना था कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) जैसी कोई सरकारी ट्रेडिंग कंपनी क्रूड ऑयल का इम्पोर्ट या एक्सपोर्ट कर सकती है और किसी अन्य को ऐसा करने के लिए IOC को आवेदन देना होगा।
अदालत ने केयर्न की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि अतिरिक्त क्रूड ऑयल के एक्सपोर्ट की अनुमति न देने से सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होगा।
कंपनी ने दावा किया था कि रिलायंस या एस्सार जैसी देश की प्राइवेट कंपनियों को इंटरनेशनल प्राइसेज से कम पर अतिरिक्त क्रूड ऑयल बेचने से सरकार को प्रतिदिन लगभग 4.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
केयर्न का कहना था कि उसने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड को क्रूड के एक्सपोर्ट की अनुमति देने के लिए कई ज्ञापन दिए थे, लेकिन कंपनी को कोई जवाब नहीं मिला।

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