दादा ब्रह्मसर बुलाइदें आवन री मारी मर्जी-पारख
बाड़मेर 
कुशल दर्शन मित्र मण्डल बाडमेर की ओर सेे भादवा सुदी पूर्णिमा के दिन 1 दिवसीय बाड़मेर-ज्ैासलमेर से लौद्रवपुर-ब्रह्मसर दादा गुरूदेव दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया। कुशल दर्शन मित्र मण्डल के भूरचन्द सियाणी व कपिल मालू ने बताया कि भादवा सुदी पूनम के उपलक्ष में बाड़मेर,,लौद्रवपुर , ब्रह्मसर तीर्थ की यात्रा करायी गयी। मालू ने बताया कि यात्रा संघ 2 बसो व अन्य वाहनों में करीब 150 यात्री के साथ स्थानीय आराधना भवन बाड़मेर से रवाना होकर प्रातः 11 बजे लौद्रवपुर तीर्थ पहुंचा जहां पार्श्वनाथ दादा के दर्षन कर पूजा अर्चना की गई और मनोकामना पूर्ण करने वाला कल्पवृक्ष,अधिष्ठायक नागदेवता,प्राचीन रथ सहित अधिष्ठायक घंटाकर्ण महावीर देव व दादा गुरूदेव के दर्शन वंदन का लाभ लिया। इस अवसर पर शान्ती स्नात्र महापूजन का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय कलाकारो ने पूजन में पार्श्वनाथ दादा के भजनो की प्रस्तुतियां देकर झुमने पर मजबुर कर दिया। पूजन के पश्चात संघ लौद्रवपुर से ब्रह्मसर की ओर प्रस्थान कर गया।
गुरूभक्त अशोक धारीवाल ने बताया कि ब्रह्मसर दादावाडी प्रांगण में दादा जिन कुशलसूरी गुरूदेव के चरण पादुकाओं के आगेें महापूजन का आयोजन किया गया।पूजन के दौरान धारीवाल नेे बताया कि प्रकाश पारख एण्ड पार्टी द्वारा भजनो की शानदार प्रस्तुतियां दी गई। सुरत से पधारे गुरूभक्त राजू पारख द्वारा ‘‘दादा ब्रह्मसर बुलाइदें आवन री मर्जी‘‘ व बाडमेर से अशोक बोथरा द्वारा प्रस्तुत भजन ’अपनी आंचल की छैया में जब भी मुझे सुलाओ मां एवं पूनम का है दिन दादा आज थाने आणो है ’ भजन पर भक्त जमकर झुमे।धारीवाल ने बताया कि पुरी यात्रा भादवा सुदी पूनम के दिन के लाभ जगदीशचन्द,ओमप्रकाश,सोहनलाल,सम्पतराज,बेटा हेमराज आदमल संखलेचा परिवार अरटी वालों ने लिया जिसका मण्डल व टस्ट मण्डल की और से बहुमान किया गया।। महापूजन के बाद महाआरती का आयोजन किया गया। विमलनाथ भगवान की आरती बाबूलाल हेमराज छाजेड चोहटन वाले व विमलनाथ भगवान के मंगल दीपक का लाभ मेवाराम कन्हैयालाल बोहरा एवं दादा गुरूदेव की आरती का लाभ जगदीशचन्द हेमराज संखलेचा अरटी वाले व दादा गुरूदेव के मंगल दिपक का लाभ मथरीदेवी माणकमल सिंघवी एवं नाकोडा भैरव देव की आरती का लाभ दानमल चिमनीराम संखलेचा बाडमेर वालों ने लिया।शाम को तीर्थकर विमलनाथ भगवान और दादा जिनकुशल गुरूदेव की आंगी रचाई गई तथा गुरूदेव का सामुहिक इक्कतीसा का पाठ का आयोजन हुआ। 

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