जैसलमेर में बारिश से लबालब हुआ गड़ीसर तालाब
जैसलमेर 
आंनद एम वासु 
स्वर्णनगरी में आखिरकार इन्द्रदेव मेहरबान हुए। शनिवार देर रात दो घंटे की तेज बारिष से शहर का विष्वविख्यात गड़ीसर सरोवर लबालब हो गया । पानी की आवक अब भी जारी है । इस मानसून की पहली अच्छी बारिष से भरे विष्वविख्यात गड़ीसर सरोवर को देखने शहर की जनता और पर्यटक सोमवार सुबह से देखने को लालायित हुए । तालाब की रौनक लौट आई है जो कि पिछले मार्च से गायब थी । बारिष से भरे गड़ीसर सरोवर को निखारने आई पब्लिक अचंभित हो उठी कि, कल तो यह खाली-खाली से था और आज लबालब भरा हुआ गड़ीसर मन को रोमांचित कर रहा है । वहीं पंडित उमाषंकर व्यास ने एक मूल्यवान बात कह डाली कि, ‘पूत एक ही सपूत‘ जैसी बारिष हुई है हमारे शहर में । एक ही बारिस से विष्वविख्यात गड़ीसर सरोवर भर जाना इसी बात की पुष्टि करता है । 

विगत श्रावण मास को बूंदाबादी और वर्तमान में भादवा की उमस और बादलों की आवाजाही से मानसून सक्रिय था । कुछ गांवों अच्छी बारिष हुई लेकिन स्वर्णनगरी सहित कई गांव औसत बारिष को तरसने लगे लेकिन आखिरकार पूरे जिले में अच्छी बारिष होने की जानकारी मिली है । शनिवार देर रात दो घंटे की तेज बारिष से स्वर्णनगरी भी तरबतर हो गई । सड़कों पर पानी घुटनों तक चलने लगा । बारिष का यह दौर रविवार सुबह 5 बजे तक जारी रहा, हालांकि रफतार कम हो गई थी फिर भी, जैसी बारिष का इंतजार था वैसी हो गई । शनिवार सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे और उमस बरकरार रही । शाम को एकबारगी मौसम साफ हो गया लेकिन फिर रात को करीब 10 बजे बिजली चमकने के साथ बादलों की आवक शुरू हुई और अन्ततः देर रात 1 बजे तेज बारिष शुरू हुई 

गड़ीसर पर चली चादर 

स्वर्णनगरी सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में शनिवार को जोरदार बारिश हुई। बारिश से विष्विख्यात गड़ीसर तालाब में पानी की आवक होने से पानी की चादर चल गई। विष्विख्यात गड़ीसर तालाब में पानी की आवक देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। शनिवार को देर रात 1 बजे से रविवार सुबह 5 बजे तक बारिश का दौर रहा। जोरदार बारिश से गलियो में पानी भर गया। 

किसानों के चेहरों पर रौनक लौटी 

पिछली बारिष में खेतों में मेहनत और पैसा लगाए किसान मुरझाई फसलों से चिन्तित होने लगे थे । उनको अभी और बारिष की आवष्यकता थी । हालांकि बारिष के लिए बना अनुकूल वातावरण उम्मीद की किरण अवष्य दिखा रहा था लेकिन पर्याप्त बारिष के अभाव में मुरझाती फसलों से चिन्ता की लकीरें किसानों के चेहरों पर अवष्य पढ़ी जा सकती थी । लेकिन अनतः उनकी मेहनत को इन्द्र देवता ने माना और मेहरबान हुए । शनिवार को हुई बारिष से किसानों के चहेरे खिल उठे हैं । किसानों को उम्मीद है कि अब फसलों से बेहतर उपज मिल सकेगी । 

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