नदियों का नदियों से जोडने की महती आवश्यक है -सांसद चौधरी
जैसलमेर/बाड़मेर

अरुण पुरोहित ने बताया की सांसद ने कहा की इतिहास गवाह है कि सृष्टि निर्माण से सभी सभ्यताऐं नदियेां के किनारे की विकसीत एवं फलीभूत हुई है। यदि मिलिट्रि हिस्ट्री देखे तो युद्ध मेें सबसे पहले वाटर पाॅईंट पर ही कब्जा किया जाता है। इस दिषा में देष आजादी से पूर्व भी विचार प्रारम्भ किया गया था। ब्रिटिष इंडिया सरकार में बाबा साहेब डाॅ अम्बेडकर लार्ड लिनलिथगों तथा लार्ड लेवल के समय श्रम सदस्य थे। उन्होनें नदियेां को जोडने से सम्बधित कार्य के लिए विष्व की पुस्तकों का अध्ययन कर टेनिसी वेली अथाॅरिटी की तरह नदी धाटी येाजना बनाई। और अमेरीका की नदियों के बांधों के विषेषज्ञ बुरूडीन की सेवाऐं ली गई। 8जनवरी 1945 केा इसी दिषा में कृषि भूमि की सिंचाई एवं मरूप्रदेष के वासीयों की प्यास बुझाने के लिए भाखडा बाॅध परियेाजना बनाई एवं राजस्थान नहर जो मरूगंगा एवं इन्दिरा गांधी नगर के नाम से जानी जाती है। जिसे मूर्तरूप दिया गया। एक लम्बे अन्तराल के बाद हमारे पूर्व राष्ट्रपति कब्दुल कलाम एवं पूर्व प्रधानमन्त्री अटलजी ने नदियेां को जोडने की येाजना बनायी। लेकिन अभी तक योजना को मूर्तरूप देने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाये गये है। कर्नल चौधरी ने कहा की.....
1. नदियों केा जोडने की येाजना का उद्देष्य बहुल नदी धाटियों का अधिषेष जल षुष्क प्रदेषों में प्रवाहित किया जावे।
2 सरस्वती जैसी पोराणिक नदी जो राजस्थान से होकर अरबसागर में जाती है। उसको पुनर्जीवित किया जाकर यमुना , कुरूक्षेत्र युमनासागर के आस पास से सीरसा, नोहर, भादरा, सरदारषहर, डुंगरगढ, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर जालोर से बहता कच्छ की खाडी में पहुचने वाले हिमालय के षुद्ध पानी केा त्रस्त लोगों तक पहुचाने की येाजना बनाई जावे।षक्ति की।
3 .यह स्थिति सम्पूर्ण देष की नदियेां को नदियों से जोडा जाता है तो वो दिन दुर नहीं जब भारत पुनः सोने की चिडिया कहलायेगा। जरूरत है महज दृढईच्छा
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