बाड़मेर दादा गुरूदेव की बडी पूजा सम्पन्न, सोमवती पूनम को भक्ति में झुमें भक्त
बाडमेर
सोमवती पूनम के अवसर पर कुषल दर्षन मित्र मण्डल की ओर सेे 1 दिवसीय बाड़मेर-ज्ैासलमेर से लौद्रवपुर-ब्रह्मसर दादा गुरूदेव दर्षन यात्रा का आयोजन किया गया। कुषल दर्षन मित्र मण्डल के भूरचन्द सियाणी व कपिल मालू ने बताया कि सोमवती पूनम के उपलक्ष में बाड़मेर,,लौद्रवपुर , ब्रह्मसर तीर्थ की यात्रा करायी गयी। मालू ने बताया कि संघ बाड़मेर से रवाना होकर प्रातः 10 बजे लौद्रवपुर तीर्थ पहुंचा जहां पाष्र्वनाथ दादा के दर्षन कर पूजा अर्चना की गई और मनोकामना पूर्ण करने वाला कल्पवृक्ष,अधिष्ठायक नागदेवता,प्राचीन रथ सहित अधिष्ठायक घंटाकर्ण महावीर देव व दादा गुरूदेव के दर्षन वंदन का लाभ लिया। इस अवसर पर ष्षान्ती स्नात्र महापूजन का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय कलाकारो ने पूजन में पाष्र्वनाथ दादा के भजनो की प्रस्तुतियां देकर झुमने पर मजबुर कर दिया। पूजन के पष्चात संघ लौद्रवपुर से ब्रह्मसर की ओर प्रस्थान कर गया।

गुरूभक्त पुखराज म्याजलार ने बताया कि दादा जिन कुषलसूरी गुरूदेव के चरण पादुकाओं के आगेें महापूजन का आयोजन किया गया।पूजन के दौरान म्याजलार नेे बताया कि प्रकाष पारख एण्ड पार्टी द्वारा भजनो की षानदार प्रस्तुतियां दी गई।सुरत से पधारे गुरूभक्त रातू पारख द्वारा ‘‘माने ब्रह्मसर बुलाईदे आवन री महारी मरजी‘‘ व बाडमेंर से पधारे अषोक बोथरा द्वारा प्रस्तुत भजन ’अपनी आंचल की छैया में जब भी मुझे सुलाओ मां एवं पूनम का है दिन दादा आज थाने आणो है ’ भजन पर भक्त जमकर झुमे।म्याजलार ने बताया कि महापूजन के बाद महाआरती का आयोजन किया गया एंवम मेगलवा से सात बसे आने से तीर्थ परिसर ॅफूल भरा हुआ था। विमलनाथ भगवान की आरती अमितकुमार बाबूलाल धारीवाल व विमलनाथ भगवान के मंगल दीपक का लाभ पारसमल हंजारीमल बोथरा एवं दादा गुरूदेव की आरती का लाभ सुरेष कुमार मांगीलाल मालू अगडावा व दादा गुरूदेव के मंगल दिपक का लाभ मांगीलाल भूरचन्द बरडिया बह्मसर एवं नाकोडा भैरव देव की आरती का लाभ हेमराज आदमल संखलेचा परिवार अरटी वालों ने लिया। सुबह की नवकारसी का लाभ कुषल दर्षन मित्र मण्डल बाडमेर की ओर से लिया गया।दोपहर में दादा गुरूदेव की बडी पूजा का लाभ मांगीलाल राणामल बोहरा-खीमराज नेमीचन्द बोथरा व षाम की नवकारसी का लाभ कुषल युवा मण्डल जैसलमेर की ओर से लिया गया।षाम को तीर्थकर विमलनाथ भगवान और दादा जिनकुषल गुरूदेव की आंगी रचाई गई तथा गुरूदेव का सामुहिक इक्कतीसा का पाठ का आयोजन हुआ।

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