एक दिन के नोटिस पर तोड़े आशियाने
बाड़मेर।
जिले के चौहटन में प्रशासन ने कु्ररतापूर्ण कार्यवाही करते हुए करीब 50 गरीब परिवारो के घरो को तबाह कर दिया जो करीब सात पीढियो से वहां रह रहे हैं। प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का नोटिस महज एक दिन पहले दिया और सुबह कार्यवाही शुरू कर दी। मौके पर पहुंचे मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी के पूर्व सदर असरफ अली व मुस्लिम छात्र संघ के प्रमुख इस्लाम बासनपीर को पीडितो ने दुख बया करते हुए कहा कि हमने जमीन खरीदी है लेकिन भूमाफियाओं व प्रशासन मिलकर हमारी जमीन का सही नक्शा न देकर बेदखल कर रहे हैं। प्रशासन ने लोगो को घरो से निकलने भी नही दिया और बुलडोजर चला दिया जिससे सईदा व जानू खा के ऊपर दिवार गिरने से गम्भीर चैटे आई।
नये वर्ष के शुरूआत से महज दो दिन पूर्व एक साथ पच्चास परिवारो के आशियाने को एक दिन के नोटिस पर उखाड़ दिया गया। पीडितो की चित्कार और उनके हाहाकार को दरकिनार करते हुए अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने किसी की पुकार नही सुनी। अतिक्रमण ध्वस्त करने की कार्यवाही में ना तो बुजुर्गो का लिहाज किया गया और ना ही गर्भवती महिलाओं का। मामले को लेकर अब दलित, विछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो में आक्रोश व्याप्त है और मामले पर प्रशासन के खिलाफ आन्दोलन की तैयारी कर चुका हैं। सामाजिक कार्यकर्ता असरफ अली खिलजी ने बताया कि 30 दिसम्बर को चैहटन आगोर में स्थित कच्ची बस्ती को अतिक्रमण बताकर हटा दिया गया जबकि यहां पर ये परिवार बीते 50 सालो से रह रहे थे। चैहटन उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, वृताधिकारी, सरपंच समेत कई लोगो ने दस्ते ने इन लोगो के घरो पर एक दिन का नोटिस देकर अतिक्रमण के नाम पर हटा दिया जबकि कई परिवारो के पास जमीन का पट्टा तक मौजूद हैं। खिलजी ने बताया कि अतिक्रमण तोड़ने की कार्यवाही में कई लोगो को चोटे पहुंची है जिसमें जानू खान का ईलाज डीसा में चल रहा हैं। इसी कार्यवाही में बाबू देवी नामक महिला को चोटे पहुंची जिसने कार्यवाही के दौरान बच्चे को जन्म दिया। इस कार्यवाही में कई ऐसे परिवारो को भी हटा दिया गया जो कि भूमिहिन हैं।
अतिक्रमण पर दोहरे मापदण्ड
चैहटन आगोर में 50 वर्षो से काबिज पट्टाशुदा लोगो को हटाकर की गई अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही पर कई सामाजिक संगठनो से सवाल खड़े किए है। सामाजिक कार्यकर्ता असरफ अली ने बताया कि चैहटन के चिपल नाडी में इन दिनो धडले से अतिक्रमण हो रहा है। दिन रात कई जेसीबी मशीनो और मजदूरो की सहायता से एक संस्था तालाब के आगोर की बेकिमती जमीन को अपने कब्जे में ले रही है। इस जगह से हर रोज प्रशासनिक अधिकारीगण गुजरते है लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ नही हो रहा हैं। चैहटन के चारो तरफ हजारो बीघो पर अतिक्रमण को न हटाकर सिर्फ मुस्लिम व दलित परिवारो को बेघर किया हैं, जबकि बेकसूर परिवारो के पट्टाशुदा आशियानो को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया और इन सर्द रातो में खुले में जमीन यापन करने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं।
ऐसा बेहरम प्रशासन
अतिक्रमण हटाते वक्त प्रशासन के लोगो ने गरीबो की एक बात नही सुनी। बबु देवी अतिक्रमण के समय उसके प्रसव पीड़ा के दर्द से तड़फ रही थी। अतिक्रमण दस्ते ने उसको घसीटकर बाहर निकाल कर उसके आशियाने पर बुल्डोजर चला दिया। उसी समय खुले आसमान में बच्चे को जन्म दिया। शहीदा बानो अन्दर सामान लेने गई, उस वक्त बुल्डोजर नही रूका, बाहर निकलते वक्त बहुत बड़ा पत्थर उसके ऊपर गिर गया जिससे उसकी बच्चादानी बाहर आ गई जो डीसा में भर्ती हैं। इसी तरह सामान लेते वक्त जानु खान के एक हाथ व एक पैर फैक्चर हो गया। 80 वर्षीय हाजी हुसैन के आंखो में आसु आज भी नही रूक रहे हैं क्योकि उसकी उम्र भर की कमाई एक घण्टे में जमीन दोज हो गई।
खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर
यह 50 परिवार कड़ाती हुई सर्दी में खुले आसमान के नीचे अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
क्या है मामला
60 साल पहले स्वरूपसिंह के पिताजी ने मुस्लिम परिवारो को जमीन जरिये रजिस्ट्री बेचान कर दी थी। उस समय से यह लोग रह रहे हैं। कई बार प्रशासन को जमीन का सीमाज्ञान करने का निवेदन करते रहे। प्रशासन हमेशा असामाजिक तत्वो से दबता हुआ उनको हक नही दिला पाया। जब सीमाज्ञान किया तो असामाजिक तत्वो ने इनकी पट्टाशुद जमीन को अपने कब्जे में लेकर राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से पास की गौचर भूमि का सेडा बताकर गौचर भूमि पर कब्जा करवा दिया। आज भी इन लोगो को अपनी पट्टाशुद जमीन का हक प्रशासन नही दिला पाई।
इनका कहना हैं
अगर प्रशासन की मिलीभगत से मुस्लिम दलित परिवारो पर द्रेष भावना की गई कार्यवाही पर दोषियो के खिलाफ अगर कार्यवाही नही हुई तो जिले भर के मुस्लिम समाज के मौजिज लोगो की बैठक बुलाकर निर्णय लिया जायेगा कि जिला प्रशासन कार्यालय के सामने महापड़ाव दिया जायेगा।
असरफ अली खिलजी, पूर्व सदर मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी, बाड़मेर
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