जालोर कलेक्टर की अनूठी पहल 26 जनवरी से पहले नंगे पांवों में पहनाएंगे 25 हजार जोड़ी जूते
जालोर 
राजस्थान के जालोर कलेक्टर अनूठी पहल करते हुए सर्दी में सरकारी स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को नंगे पांव ठिठुरते एक आईएएस अधिकारी को सहन नहीं हुआ और उन्हें अपने साल ले जाकर बाजार से जूते दिला दिए. सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ बल्कि शुरू हुआ और आज ये शख्स 25,000 जरूरतमंद स्कूली बच्चों को जूते पहनाने जा रहा है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान के जालोर जिले की और ये जिम्मा उठाने वाले शख्स हैं यहां के जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी. गणतंत्र दिवस से पहले-पहले जिलेभर के 25 हजार गरीब बच्चों को जूते उपलब्ध कराने की ठान चुके हैं. यही नहीं सोनी की इस कोशिश में दानदाता और बहुत से शिक्षक भी जुट गए हैं और अपने स्कूल, कस्बे और शहर के ऐसे बच्चों के लिए खुलकर आर्थिक सहयोग दे रहे हैं.
ऐसे हुई शुरुआत:
पिछले साल दिसंबर में कलेक्टर सामान्य दौरे पर एक सरकारी स्कूल पहुंचे थे. वहां कुछ बच्चों को नंगे पांव ठिठरते देखा तो उन्होंने वहीं से जूते खरीद उन्हें पहना दिए. लेकिन इसी के साथ उन्होंने ऐसे अन्य स्कूली बच्चों के बारे में सोचा और एक अभियान की रूपरेखा तैयार की. उन्होंने जालोर जिले के तमाम सरकारी स्कूलों का हाल जानना चाहा और फिर मदद के लिए भी तैयार लोगों का भी सहयोग मांगा.
तैयार हुई 'चरण पादुका योजना'
कलेक्टर सोनी ने जिले की 274 ग्राम पंचायतें और तीन नगर पालिकाओं के तमाम सरकारी स्कूलों से ऐसे गरीब बच्चों की जानकारी मांगी जो बिना जूते स्कूल आते हैं. जल्द ही आंकड़ा सामने था, जिले में 25 हजार बच्चे ऐसे हालात में मिले जिनके लिए कलेक्टर ने चरण पादुका योजना तैयार की. इसके तहत उन्होंने दानदाताओं और संस्थाओं को मदद के लिए आमंत्रित किया और नतीजतन नंगे पांवों तक जूत पहुंचने लगे.
गणतंत्र दिवस तक सभी बच्चों तक जूते:
सोनी के अनुसार उन्होंने गणतंत्र दिवस से पहले-पहले सभी जरूरतमंद बच्चों तक जूते पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. यह काम तेजी से हो रहा है. और उम्मीद है इस गणतंत्र दिवस पर कोई गरीब बच्चा सर्दी में नंगे पांव ठिठुरता हुआ स्कूल नहीं पहुंचेगा.

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