बाड़मेर। पूर्व राजपरिवार में हुआ नए सदस्य का आगमन, मनाया जश्न
बाड़मेर ।
लम्बे अरसे बाद मारवाड़ रियासत के पूर्व राजपरिवार में सोमवार का सवेरा खुशियों की सौगात लेकर आया। इस परिवार में सोमवार को नए सदस्य का आगमन हुआ। पूर्व नरेश की पुत्रवधू और शिवराज सिंह की पत्नी गायत्री कुमारी ने आज सुबह पुत्र को जन्म दिया। नए सदस्य के आगमन के साथ ही राजपरिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
इस ख़ुशी के मौके पर बाड़मेर मे भी ख़ुशी का माहौल रहा।शहर वासियो ने जगह जगह पटाखे फोड़कर,थाली बजाकर,मिठाइयां बांटकर,गुड़ और पताशे बांटकर मारवाड़ के जोधपुर राजपरिवार के नए सदस्य के आगमन की खुशिया मनाई।
इस मौके पर अखिल भारतीय राठौड़ वंश की कुलदेवी माँ नागणेच्यां गढ़ मंदिर पर राजपूत समाज वशहर वसीयो द्वारा जोरदार आतिशबाजी की गयी और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर ख़ुशी मनाई गयी।
इस हर्षोल्लास के मौके पर बाबू सिंह सरली,स्वरुप सिंह आगोर,हठे सिंह रामदेरिया,गिरधर सिंह मीठड़ा,देरावर सिंह मीठड़ा,हनुवंत सिंह कवास,विक्रम सिंह शिवकर,महेन्द्र सिंह तारातरा,पंचायत समिति सदस्य नेपाल सिंह तिबनियार,तनवीर सिंह फोगेरा,जय सिंह गोरड़िया,उदय सिंह रोहिडी,तन सिंह भिंयाड़,नरपत सिह कोटड़ा,जनक सिंह,झुंझार सिंह,प्रदीप सिंह व अन्य नागरिक मौजूद रहे।
मेहरानगढ़ किले से 101 तोपें दाग कर खुशी व्यक्त की गई। मारवाड़ के राजपरिवार में पांच पीढ़ियों के बाद यह पहला अवसर है जब दादा अपने पौत्र का मुंह देखेगा। इससे पहले मारवाड़ के महाराजाओं का अल्पायु में निधन होता रहा है। इस कारण वे कभी अपने पौत्र का मुंह नहीं देख पाए।
पूर्व नरेश गजसिंह के एक पुत्र शिवराजसिंह व पुत्री शिवरंजनी है। वहीं शिवराज सिंह की पुत्री वराह राजे का जन्म वर्ष 2011 में हुआ था। पूर्व नरेश गजसिंह इस समय दिल्ली में है और उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। राज्य के उद्योग मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर सहित कई रियासतों के राजा-महाराजाओं ने उन्हें फोन कर बधाई दी। राजपरिवार की ओर से जारी सूचना मेंं बताया गया कि जच्चा व बच्चा एकदम स्वस्थ है। पूर्व नरेश के निवास स्थान उम्मेद भवन पैलेस में खुशी का माहौल है। और दरबार हाल में सभी ने एकत्र हो एक-दूसरे को मुंह मीठा कराया।

पांच पीढ़ी बाद दादा-पोता एक साथ
मारवाड़ के राजघराने में पांच पीढ़ी से किसी महाराजा को अपने पौत्र का मुंह देखने का अवसर मिला है। मारवाड़ के महाराजा सरदार सिंह का 31 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया। इसके बाद महाराजा सुमेरसिंह का 21 वर्ष की आयु में ही निधन हो गया। इस कारण उनके छोटे भाई उम्मेदसिंह को महाराजा बनाया गया। महाराजा उम्मेद सिंह का 43 वर्ष की आयु में ही निधन हो गया। वहीं उनके पुत्र और गजसिंह के पिता महाराजा हनवंत सिंह का 29 वर्ष की आयु में एक हवाई हादसे में निधन हो गया। इस कारण ये लोग कभी अपने पौत्र का मुंह नहीं देख पाए। इसके बाद मारवाड़ में यह भ्रांति चल पड़ी कि यहां के महाराजा कभी अपने पौत्र का मुंह नहीं देख पाता है, लेकिन अब इस भ्रांति पर विराम लग गया है।
पोलो खेलते गिर गए थे शिवराज
पूर्व नरेश के पुत्र शिवराज सिंह फरवरी 2005 में जयपुर में एक पोलो मैच के दौरान घोड़े से नीचे गिर गए थे। इस कारण उनके सिर में गंभीर चोट आई। इसके बाद वे लम्बे अरसे तक कोमा में रहे और चलने-फिरने में असमर्थ हो गए। बरसों लम्बे इलाज के बाद उनके स्वास्थ्य में अब काफी सुधार हुआ है और वे आराम से चलने-फिरने लगे है।

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