तप का मुख्य उद्देश्य  आत्म शुद्धि
बाड़मेर 
तप अभिनन्दन एवं संस्कार निर्माण षिविर ज्ञान के प्रकाष, सद्गुणो की सुवास, तप के उल्लास का अभिनव संगम साध्वी संघप्रभा आचार्य महाश्रमण की विदुषी सुषिष्या साध्वी संघप्रभाजी के ठाणा 5 के सानिध्य में तेरापंथ भवन में तपाभिनन्दन समारोह एवं ज्ञानषाला का संस्कार निर्माण षिविर आयोजित किया गया। इसके अन्तर्गत ज्ञानषाला कि बच्चियों द्वारा ‘अर्ह-अर्ह की वन्दना’ द्वारा मंगलाचरण हुआ। साध्वी श्रीजी ने अपने उद्बोधन यह कहा की इन्द्रिय व मन के निग्रह की प्रक्रिया का नाम ही तप हैै। तप का मुख्य उद्देष्य आत्म शुद्धि है। साध्वी श्री ने आगे कहा-षैषव काल संस्कारो के बीजारोपण की उत्तम उर्वराभुमि है । इस कार्यक्रम में साध्वी अखिलयषाजी, साध्वी मृदुप्रभाजी, साध्वी कत्र्तव्ययषाहजी, साध्वी प्रांषुप्रभा द्वारा तपस्विनी बहिन लीलादेवी धर्मपत्नी रूपेषजी मालू की तपस्या के संदर्भ में ‘तप की जय-जय बोली’ गीतिका द्वारा धर्मानुरागी भाई बहिनों एवं भवन को मंत्रमुग्ध कर दिया साध्वी प्रांषुप्रभा ने ज्ञानषाला को आचार्य तुलसी का महान अवदान बताते हुए इसे संस्कार निर्माण की प्रयोगषाला बताया इस कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के मंत्री जवेरीलालजी चैपडा, तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष गौतमजी बोथरा तेरापंथ महिला मण्डल की मंत्री ज्योति जैन, तेरापंथ कन्या मण्डल से श्रद्धा, सुमन, ज्ञानषाला, के बच्चे पारसमलजी गौलेच्छा आदि धर्मप्रेम बन्धु उपस्थित थे। इसमें गौतमजी, महिला मण्डल , कैलाषजी बोहरा, मुकेषजी जैन, मेवाराम वडेरा, आदि सभी ने मुक्तक, गीतिका भाषण विविध विधाओ में प्रस्तुती दी। इस कार्यक्रम का कुषल संचालन साध्वी मृदुप्रभा ने किया।
मध्याहमकालीन सत्र में साध्वी प्रांषुप्रभा ने षिविर में संभागी कुल 25 बच्चो को त्रिपदी वन्दना, गुरूवन्दना, महाप्राणध्वनी, विविध हस्त मुद्राएं यौगिक क्रियाएं, प्रक्षाध्यान, अनुप्रेक्षा के अनेक प्रयोग प्रषिक्षण तथा ओम भिक्षु एक मिनट प्रतियोगिता 
का संचालन किया साध्वी संघप्रभा ने अपने आषीर्वचन में कहा बचपन ज्ञान की प्रकाषित व सद्गुणों की सौरभ से सुवासित हो। इस षिविर की सफल समायोजना मे तेरापंथ सभा अध्यक्ष रतनलाल गौलेच्छा का सक्रिय सहयोग रहा। महिला मण्डल की ओर श्रीमति उर्मिला मेहता अध्यक्षा श्रीमति उषा सालेचा द्वारा बच्चो को पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर बालोतरा केश्री बाबुलाल गौगड़, श्री सुषील गौगड़ आदि अनेक प्रमुख लोग उपस्थित थे।

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