'केजरी की आंधी' में उड़ गया मोदी का 'विजय रथ', किरण बेदी भी न बचा पाईं 'सबसे सुरक्षित' सीट
नई दिल्ली 
 दिल्ली की गद्दी पर अरविंद केजरीवाल इस बार ऐसे बहुमत के साथ बैठने जा रहे हैं, जो अब तक किसी को नसीब नहीं हुआ, और जिसकी कल्पना उन्होंने खुद भी नहीं की थी। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में ऐसी अभूतपूर्व ऐतिहासिक जीत हासिल की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों के बावजूद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सिर्फ तीन सीटों पर सिमटती दिखाई दे रही है, और कांग्रेस तो पूरी तरह साफ हो गई है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे एग्ज़िट पोलों में की गई भविष्यवाणियों और हर तरह की अटकलों को धता बताते हुए दिखा रहे हैं कि केजरीवाल पर दिल्ली की जनता ने पूरी तरह भरोसा कर लिया है।
राष्ट्रीय राजधानी की 70 सीटों के लिए 14 केंद्रों पर सुबह 8 बजे शुरू हुई मतगणना के दौरान सभी सीटों पर हासिल रुझानों और नतीजों के मुताबिक, 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीत दर्ज करने जा रहे हैं, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ तीन सीटें आ रही हैं। बीजेपी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी खुद 'सबसे सुरक्षित' मानी जाने वाली कृष्णा नगर सीट से चुनाव हार गई हैं। दिल्ली पर 15 साल तक लगातार शासन कर चुकी कांग्रेस के उम्मीदवार किसी भी सीट पर आगे नहीं हैं।
इस बीच, 'आप' नेता आशुतोष ने जानकारी दी है कि पिछले साल 14 फरवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अरविंद केजरीवाल इस बार 14 फरवरी को ही शपथ ग्रहण करेंगे। माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन इस बार भी रामलीला मैदान में किया जाएगा।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन करके आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में मिली शानदार जीत पर बधाई दी है। उधर, कांग्रेस की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए चुनाव प्रभारी अजय माकन ने कहा कि वह पार्टी महासचिव पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं।

 मोदी ने केजरी को दी बधाई, सहयोग का भरोसा जताया
मुख्य चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा ने एनडीटीवी से बातचीत में उम्मीद जताई है कि अधिकतर नतीजे पूर्वाह्न 11:30 बजे तक आ जाएंगे। उन्होंने बताया, मतगणना के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। 70-सदस्यीय विधानसभा के लिए 673 उम्मीदवार मैदान में हैं और अब मतगणना संपन्न होने के साथ ही उनकी किस्मत का फैसला हो जाएगा। मतगणना की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है।

* कांग्रेस और बीजेपी अहंकार की वजह से हारीं : अरविंद केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा के लिए शनिवार को हुए मतदान में 67.14 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 70 सदस्यीय विधानसभा में कम से कम 36 सीटों की जरूरत होगी। विधानसभा का यह चुनाव अत्यंत कड़ा मुकाबला साबित हुआ। यह चुनाव आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी लड़ाई बन गई थी। बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरा हालांकि किरण बेदी रहीं।
इस चुनाव में कुल 673 प्रत्याशियों में महिला प्रत्याशियों की संख्या 63 है। उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी सीट पर सबसे अधिक 18 उम्मीदवार हैं, जबकि दक्षिणी दिल्ली के अंबेडकर नगर सीट से सबसे कम चार उम्मीदवार हैं।इससे पहले, तमाम एग्ज़िट पोलों के आंकड़ों से गदगद आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली स्थित सभी दफ्तरों में काफी चहल-पहल रही, जबकि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश मुख्यालयों में काफी कम लोगों को देखा गया।
सभी एग्ज़िट पोलों के नतीजों में 'आप' को बीजेपी पर निर्णायक बढ़त मिलती होने की संभावना जताई गई है। एक एग्ज़िट पोल के नतीजों में तो अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी को 70-सदस्यीय विधानसभा में 53 सीटें तक मिलने का पूर्वानुमान लगाया गया है।
हालांकि बीजेपी ने एग्ज़िट पोल के नतीजों को खारिज करते हुए भरोसा जताया है कि 16 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर वह दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी, और पार्टी ने सोमवार को कहा कि उसे 34 से 38 सीटें हासिल होंगी।
दिसंबर, 2013 तक कांग्रेस ने दिल्ली में 15 साल शासन किया था, लेकिन एग्ज़िट पोल के नतीजों के मुताबिक उसे अधिकतम पांच सीटें मिलती दिख रही हैं।
गौरतलब है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि पहली बार चुनाव में उतरी 'आप' को 28 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को सिर्फ आठ सीटों पर संतोष करना पड़ा था। त्रिशंकु विधानसभा के बीच 'आप' ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में दिल्ली जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं किए जाने के कारण 49वें दिन 14 फरवरी, 2014 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद पिछले साल 17 फरवरी से यहां राष्ट्रपति शासन लागू है।

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