सरहदी किसानों को मिले उनका हक़
कर्नल सोनाराम ने संसद में उठाए विभिन्न मुद्दे
बाड़मेर
सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने लोकसभा कार्यवाही के दौरान कहा कि आजादी के समय भारत -पाकिस्तान का विभाजन हुआ तब सीमा का निर्धारण किया गया। प्रत्येक निर्धारित स्थान पर स्तंभ(पिलर) लगाए थे। इसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से भारत सरकार ने 1994-95 भारतीय सीमा में पीलर से भारतीय सीमा में 150 गज यानि लगभग 450 फिट पर तारबन्दी की।
देश आजादी से 1994-95 जब तक तारबन्दी हुई संबंधित किसान अपनी जमीन पर खेती कर रहे थे। तारबंदी के समय केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय एवं राज्य सरकार के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आवश्यकतानुसार भूमि का अधिग्रहण कर लिया। पीलर एवं तारबंदी के बीच जिन किसानों की जमीन रही थी। उनमें से जम्मू-काश्मीर, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में गंगानगर, हनुमानगढ़ आदि के किसान जो जागरूक एवं शिक्षित थे। उन्होंने अपनी जमीन पर काश्त करने के लिए सेना एवं प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर प्रत्येक 3-4किमी पर गेट खुलवा लिए ताकि वे अपनी जमीन पर काश्त कर सके।
लेकिन राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर जिले के किसान जो अशिक्षित थे, उन्होंने जागरूकता नहीं दिखाई जिससे उनकी पुश्तैनी जमीन पर काश्त करने का उन्हें हक नहीं मिला पाया।
किसानोंको नहीं मिला हक
जबकिसानों में जागरूकता आई तो उन्होंने राज्य सरकार, केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, सीमा सुरक्षा बल आदि से पत्र व्यवहार एवं व्यक्तिगत मुलाकात कर अपना हक मांगा, लेकिन बहुत की अफसोस है कि उनकेा न्याय नहीं मिल पाया। कई परिवारों की पुरी पुश्तैनी जमीन इस तारबन्दी में चली गई है। रूपाराम पुत्र लाखाराम गावं दीपला तहसील चौहटन जिला बाड़मेर राजस्थान एक उदाहरण है जिनकी 30बीघा जमीन पुरी तारबन्दी में चली गई है। एेसे कई उदाहरण है। सांसद ने कहा कि किसानों को हनुमानगढ़, गंगानगर के किसानों की भांति तारबन्दी में प्रत्येक 1किमी में 3-4 गेट देकर उनकी जमीन पर काश्त करने की अनुमति दी जाए। जमीन के बदले जमीन देय उसी राजस्व ग्राम में पड़त सरकारी जमीन का आवंटन किसानों को को किया जाए यदि उस राजस्व ग्राम में निकटतम स्थान पर दे। उन्होंने सरकार से आग्रह है कि राज्य सरकार, सीमा सुरक्षा बल एवं गृह मंत्रालयों को किसानों के हित में निर्णय लेकर उन्हें न्याय दिलाने का आग्रह किया।
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