- जलदाय विभाग का जल चेतना अभियान जारी 
- बच्चे ले रहे है बढ़ चढ़ कर हिस्सा 
बाड़मेर 
जल ही जीवन है और जल संरक्षण बहुत जरुरी है। वैदिक युग से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक युग में भी जल संरक्षण के महत्व को नजर अंदाज नहीं किया गया है। क्योंकि मानव जीवन का आधार स्तंभ जल ही है जो मनुष्य के अस्तित्व को बचाए हुये है। भू-गर्भीय जल को मानव सहित अन्य जीवों के लिए शुद्ध पेयजल माना गया है। साथ ही सतही जल को संरक्षित कर भू-गर्भीय जलस्तर के बीच परस्पर तालमेल बनाकर उसे भू-गर्भ के उपरी स्तर पर विद्यमान रखा जा सकता है। जल संरक्षण से जीवन सहित वनस्पतियों को भी बचाया जा सकता है। जमीन पर कुंआ, तालाब, पोखर और आहरों में बारिस के जल संग्रहित कर रखा जा सकता है।यह कहना है समाजसेवी सवाईराम सियाग का। उन्होंने यह बात जलदाय विभाग और सीसीडीयू द्वारा आयाजित की जा रही जल चेतना अभियान शृंखला मे स्थानीय न्यू हनुवंत विधा मंदिर उच्च माध्यमिक विधायल मे आयोजित शपथ कार्यक्रम मे कही। 

सीसीडीयू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित नए बताया की विभाग द्वारा स्कूली विधार्थियो मे जल चेतना के लिए माहोल तैयार किया जा रहा है और इसके लिए जिले भर मे कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है उसी क्रम मे गुरुवार को स्थानीय न्यू हनुवंत विधा मंदिर उच्च माध्यमिक विधायल मे सेकड़ो बच्चो को जल बचत की शपथ दिलाई गई। बच्चो ने शपथ प्रमाण पत्रो पर अपने हस्ताक्षर कर जल बचत का प्रण लिया। इस मोके पर विधालय के प्रबंधक प्रेमाराम सियाग ने कहा कि बारिस के जल को कुएं, आहर, तालाब बनाकर संरक्षित किया जा सकता है। वर्तमान समय में वैज्ञानिकों द्वारा जल के अभाव के मद्देनजर रेन हार्वेसटिंग को सबसे उपयुक्त माना गया है। मकानों के पास टंकी बनाकर बारिस के जल को संग्रहित किया जा सकता है। वैदिक काल में बड़े-बड़े तालाब तथा आहर के माध्य से जल को संरक्षित करने के प्रसंग मिलते हैं। इस मोके पर शिक्षा विद कपिल सोनी ने कहा कि जल संरक्षण से एक तरफ मानव सहित अन्य जीवों की प्राण बचता हैं वहीं दूसरी तरफ सतही जल संरक्षण के स्रोतों, झीलों, आहरों, तालाबों एवं कुओं द्वारा भू-गर्भीय जल के साथ परस्पर तालमेल रहने के कारण भू-गर्भीय जलस्तर उपरी सतह पर केंद्रित रहता हैं। जिसके कारण धरती पर पैदा होने वाले छोटे-छोटे से जीव एवं पौधों को जड़ों को पर्याप्त जल की प्राप्ति होती है। इस प्रक्रिया से धरती पर फैले वन क्षेत्र एवं वन्य जीवों की रक्षा होती हे। वहीं वनों के बचाव से पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है।इस मोके पर इसवेस्ट मित्रा के एम दी अरविन्द खत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए सरकार भी काफी गंभीर है। सरकारी एजेंसियों द्वारा मनरेगा के माध्यम से नदियों की गहराई बढ़ायी जा रही है ताकि तमाम नदियों में सालो भर पानी रह सके। साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाकर सरकारी स्तर से निजी भूमि पर पोखरे की खुदाई कराकर जल संरक्षण कराया जा रहा है। वही इस कार्यक्रम मे विरमा राम , सुखराम ,लक्ष्मण राम ,नखत सिंह ,ताजेनद्र कुमार , रुगा राम , जयश्री और धन्नी चौधरी ने भी सम्बोधित किया।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top