अंगूठा लगाने वाले नहीं बन सकेंगे सरपंच?
जयपुर
राजस्थान का पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग गांवों में नए युग की शुरूआत करने की तैयारी कर रहा है। विभाग पंचायती चुनाव में अंगूठो लगाने वालों को चुनावी दौड़ से बाहर कर पढ़े लिखों को मौका देना चाहता है।
अगर राजस्थान सरकार ने विभाग का प्रस्ताव मंजूर कर लिया तो, कुछ सप्ताह बाद होनेवाले इन चुनावों के जो परिणाम आएंगे, वे वाकई राजस्थान के गांवों की तस्वीर बदलने वाले सबित हो सकते हैं। विभाग के इस प्रस्ताव को पंचायती राज विभाग के मंत्री गुलाबचंद कटारिया की स्वीकृति का इंतजार है।
सूत्रों ने बताया कि पंचयाती राज व ग्रामीण विकास विभाग ने सरकार से सरपंच और प्रधान सहित गांवों की सत्ता सम्भालने वाले जनप्रतिनिधियों की योग्यता को लेकर मापदण्ड तय करने की सिफारिश की है।
अगर सरकार विभाग के प्रस्ताव पर अमल कर लेती है, तो निरक्षरों के लिए चुनाव में हिस्सा लेना दूर की कौड़ी साबित हो सकता है।
ये हैं विभागीय तर्क
गांवों में साक्षर नेताओं की जरूरत को लेकर विभाग ने बड़े-बड़े तर्क दिए हैं। विभाग का तर्क है कि केन्द्र और राज्य सरकारें गांवों के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च करते हैं। लेकिन कई बार सरपंच और प्रधान ने साक्षर नहीं होने के कारण उन कागजात पर अंगूठा लगा दिया, जिनमें कई अनियमितता थीं।
दरअसल, वे पढऩा ही नहीं जानते थे कि वे किस पर अंगूठा लगा रहे हैं। वर्तमान में राजस्थान में तीन हजार से अधिक सरपंचों पर अनियमितता की शिकायतें चल रही हैं।
साक्षर नेता को लेकर विभाग का कहना है कि राशि स्वीकृत करने के लिए चैक या अन्य दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से पहले संबंधित उसका अध्ययन तो कर सके। पंचायत स्तर के नेता साक्षर होंगे, तो वित्तीय और प्रशासनिक गड़बडियां रुक सकती हैं।
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