बाबा के भक्तजन अपनी बारी के अनुरुप कर रहे थे ईष्टदेव के दर्षन
 ामदेवरा 
/पष्चिमी राजस्थान के जग विख्यात बाबा रामसापीर के 630 वेँ भादवाषुक्ला दषमी को बीकानेर जिले के विभिन्न अँचलों से आए पैदलयात्री संघों की रैलमपेल रही। ये पैदलयात्री संघ बाबा के जयकारे लगाते हुए अपनी बारी के अनुरुप ईष्टदेव के दर्षन कर रहे थे एवं उन्होंने अपनी पैदल यात्रा की कष्ट पीड़ा को बिना महसूस किए बड़े जोष-खरोष के साथ अपने हाथों में बाबा की प्रिय घ्वजाएँ लिए उत्साह के साथ बाबा की समाधी के दर्षन किए एवं प्रसाद चढ़ाया एवं अपनी मनोकामना पूर्ण की। इन पैदल संघों में महिलाओं की संख्या बहुतायात संख्या में रही, उनमें भी बाबा के प्रति अटूट आस्था झलक रही थी यही नहीं कही महिलाएँ तो अपने नन्हे-मुन्नों को गौद में लेकर बाबा के दरबार में घौक लगाया। भादाषुक्ल दषमी के दिवस भी प्रातः 4 बजे से ही लम्बी कतारे लगी हुई थी एवं इसका दौर निरन्तर चल रहा था।
मेलाधिकारी एवं उपखण्ड अधिकारी वीरेन्द्रसिंह यादव ,कानून व्यवस्था के प्रभारी एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कैलाषदान रतनू ,उप अधीक्षक पुलिस पोकरण धर्माराम , तहसीलदार पोकरण सुभाष हेमानी , सरपंच रामदेवरा भोमाराम ,विकास अधिकारी नारायणलाल सुथार ने भी मेलार्थियों की भीड़ को देखते हुए बाबा के भक्तजनांे को सुगमता से दर्षन करवाने में जुटे हुए थे। उपखण्ड अधिकारी ने बताया कि दषमी के दिन भी मेलार्थियों की भीड़ अच्छी रही और पूरे रामदेवरा में उनकी गहमागहमी रही। उन्होंने बताया कि पैदल संघों के लिये अलग से लाईन में व्यवस्था करवा कर उनको दर्षन कराये जा रहे थे।
दषमी के दिवस नौखा से आए पैदल सूखी संघ के 3000 पदयात्रियों में नाचते-गाते व बाबा के जयकारे लगाते हुए अपने ईष्टदेव के दर्षन किए। इसी प्रकार बाबा रामदेव संघ फलौदी के 300 , पैदलयात्री संघ जोधपुर के 300 पैदल संघ रौहिणी के 250 ,पैदल संघ रोहड़ा बीकानेर के 200 ,पैदल लटियाल संघ फलौदी के 300 ,पैदलयात्री संघ बीकानेर के 250 , न्यू बाबा रा लाडला नोखा के 200 ,पदयात्रियों ने गुरुवार को रामदेवरा पहुँच कर बाबा की समाधी के दर्षन किए एवं प्रसाद चढ़ाया। उन्होंने रामसरोवर तालाब में भी डूबकी लगा कर अपनी यात्रा को सफल बनाया।
640 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर मकरबा

बाबा रामसापीर के भक्तों में वास्तव में आस्था का ज्वार इतना देखा गया कि उनकी लम्बी दूरियाँ भी उनको लिये बहुत कम नजर आ रही थी। ऐसा ही उदाहरण दषमी के दिवस रामदेवरा मेले में देखा गया जिसमें अहमदाबाद जिले के मकरबा गांव का पैदल संघ 640 किलोमीटर की पद यात्रा कर बाबा के दरबार में उत्साह एवं उमंग के साथ पहुंचा। इन बाबा के भक्तों के चेहरों पर किसी प्रकार का कष्टपीड़ा का भाव नजर नहीं दिखाई दे रहा था बल्कि वे आपस में एक-दूसरे के चेहरों पर बाबा की प्रिय गुलाल के रंग से सरोबार हो रहे थे एवं बाबा की महिला भाविकाएँ गुजराती में बाबा के प्रिय भजन गा रही थी वहीं उनके साथ छोटा सा बाबा का मंदिर में बना हुआ था एवं उसको लेकर उन्होंने अपने ईष्टदेव के दर्षन कर पूजा-अर्चना की और प्रसाद चढ़ाया व अपनी मन्नतों को पूरा किया।
रंग-बिरंगी पौषाके पहने हुए मेले में आए भक्तों से विभिन्न प्रांतांे क संस्कृति झलकती हुई दिखाई दे रही थी। बीकानेर जिले से आए संघों में भारी उत्साह का भाव नजर आ रहा था। मेले में आए भक्तजनों की भारी संख्या से पूरी रुणैचा नगरी में रैलमपेल नजर आ रही थी। यहां आने वाले भक्तों ने परचाबावड़ी के चमत्कारिक पवित्र जल को भी साथ लेकर जाते हुए दिखाई दे रहे थे। वहीं उन्होंने बाबा की प्रिय अनन्य भक्त डालीबाई की समाधी के भी दर्षन किए एवं उन्हांेने वहां बाबा के प्रिय रिख्यिों से पांच भजन भी कराए।

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