भजनों से मेला प्रांगण को भक्ति रस से किया सरोबार

रामदेवरा ,4 सितम्बर/ जिला प्रषासन के निर्देषन एवं ग्रामपंचायत रामदेवरा के सहयोग से जैसलमेर की सुर संगम संगीत कला केन्द्र द्वारा बुधवार को रात्री में ग्रामपंचायत रंगमंच पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक संाझ में ख्यातनाम लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक सरिता बहाई वहीं बाबा के प्रिय भजन प्रस्तुत कर बाबा के भक्तजनों को भक्ति रस में डूबो दिया।

मेलाधिकारी एवं उपखण्ड अधिकारी पोकरण वीरेन्द्रसिंह यादव के मुख्य आतिथ्य एवं सरपंच रामदेवरा भोमराम की अध्यक्षता में आयोजित हुई इस सांस्कृतिक संध्या में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सी.आई.डी.बी.आई जस्साराम बौस ,उप अधीक्षक पोकरण धर्माराम , तहसीलदार पोकरण सुभाष हेमानी , विकास अधिकारी नारायणलाल सुथार , नायब तहसीलदार आईदानराम पंवार , मेले में आए उप अधीक्षक वेदप्रकाष विषिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित थे।

सांस्कृतिक सांझ की शुरुआत आकाषवाणी कलाकार एवं भजन गायक राजेन्द्र रंगा ने बाबा का प्रिय भजन ’’ रुणझूण बाजे घूघरा ,घौड़े रा बाजे पोड़ जी ,लीले री असवारी आवें रामसा पीर जी......’ की प्रस्तुती पेष कर बाबा के भक्तों को भक्ति रस से सरोबार सा कर दिया। वहीं सतारखां ने ’’ केसरिया बालम आओ नी पधारो नी म्हारे देष ’’ स्वागत गीत पेष किया। विभिन्न देषों में मरु संस्कृति की अपनी अनूठी छाप छोड़े विख्यात कलाकार मूलसागर निवासी तगाराम भील ने अलगौंजावादन पर राजस्थानी गीतों की धूने बिखेर कर सभी दर्षकों को मोहित सा कर दिया।

सांस्कृतिक संध्या में जैसलमेर बिजली मानी जाने वाली अन्नू सौंलकी एवं उनकी पार्टी ने राजस्थानी लोकगीत ’’ गौरी रो पल्लो लटकें ,जरासो टेडो हो जा बालमा ...’’ पर भव्य नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं इसने घूटनों के बल पर तेज गति में चकरी नृत्य पेष कर मेलार्थियों का अच्चभित सा कर दिया यहीं नहीं उसने शारीरिक संतुलन को बना कर आंखों की पलकों से जहां नीचे रखे रुपए उठाए। शादी समारोह या अन्य उत्सवों पर पेष किए जाने वाले कच्छी घोड़ी का नृत्य पोकरण के ख्यातनाम लोक कालाकार रेवन्ताराम एवं उसकी पार्टी द्वारा बाबा के घोडे़ पर कच्छी घोड़ी नृत्य पेष कर दर्षकों की वाहवाही लूटी।

रामगढ़ के ख्यातनाम लोक कलाकार उदाराम एवं पार्टी द्वारा तराजू अग्नि नृत्य पेष कर दर्षकों के रौगटे खड़े करा दिए। दोनों हाथों में तराजू लेकर उसमें जलते हुए अंगारे रख कर तेज गति के साथ उसे घूमा कर तराजू अग्नि नृत्य पेष किया जो वास्तव में देखने लायक था। लोक कलाकार रईषखां ने मरुप्रदेष का लोकवाद्य मौरचंग पर ढौलक के साथ लयताल मिलाते हुए जुगलबंदी पेष की। जैसलमेर की लोक कलाकार दुर्गा एवं राणी ने ’’ होलीयों में उड़े रे गुलाल , गयो रंग मेेला में .. ’’ पर भव्य नृत्य पेष कर फाल्गुनी रस में डूबो दिया।









इस सांस्कृतिक सांझ बाड़मेर के विख्यात कलाकार हरीष कुमार ने अपने सिर पर अग्नि प्रज्जवलित कर चाय बना कर एक अनूठा प्रदर्षन प्रस्तुत किया। जैसलमेर की कलाकार श्रीमती मूलीदेवी ने राजस्थानी गीत ’’ टूटी बाजूड़े री लूम ....’’ पर एकल नृत्य पेष किया। वहीं सूफीयाकलाम ’’ दमादम मस्त कलन्दर अलीजा पहला नम्बर ...’’ गीत पर हरीष ,पप्पू ,रेषमा ,लूणाराम ,उदाराम रमेष ने सामुहिक नृत्य प्रस्तुत किया।

सांस्कृतिक सांझ के प्रारंभ में सहायक जन सम्पर्क अधिकारी ईष्वरदान कविया ने उपखण्ड अधिकारी यादव का माला पहना कर स्वागत किया। एवं अन्य अतिथिगणों का सुर संगम कला केन्द्र के सचिव मोहनखां , क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी बाड़मेर नरेन्द्र तनसुखानी , वरिष्ठ लिपिक ओम पंवार ने उनका हार्दिक स्वागत किया। सरपंच रामदेवरा भोमाराम ने लोक कलाकारों बाबा की तस्वीर स्मृति स्वरुप भेंट की। सांस्कृतिक सांझ का संचालन साहित्यकार एवं कलाप्रेमी व सेवानिवृत व्याख्याता मनोहर महेचा ने औजस्वी वाणी में किया। मोहनखां ने सांस्कृतिक सांझ के लिए ग्रामपंचायत के साथ ही मेला प्रषासन का हार्दिक आभार जताया। इस सांझ में ग्रामसेवक मोतीराम एवं पटवारी घेवरराम का भी अभिनन्दन किया गया।

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