"उदयपुर के होटल केस से मोदी के मिशन को लगेगा झटका"
नई दिल्ली।
राजस्थान में उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल के बिक्री में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर पूर्व विनिवेश मंत्री अरूण शौरी ने कहा है कि गुमनाम शिक ायतों के आधार पर पुराने मामलों को दोबारा खोलने और सेवानिवृत्ति के काफी समय बाद अधिकरियों पर आरोप लगाने से पीएम नरेंद्र मोदी के मकसद को गहरा धक्का लगेगा।
उन्होंने कहा कि इस तरह से पीएम मोदी के नीतियों में शिथिलता को खत्म करने के उद्देश्यों पर बुरा प्रभाव पडेगा। इतना ही नहीं, इससे निवेशकों की भावनाएं भी आहत होंगी।
शौरी ने राजग सरकार में लक्ष्मी विलास होटल को बेचने के फैसले का जोरदार तरीके से समर्थन किया। उन्होंने कहा कि होटल को बेचने में सभी सरकारी प्रक्रि याओं का पालन किया गया था।
हालांकि सीबीआई ने अपनी एफआईआर में कहा है कि वह होटल 29 एकड़ से अधिक क्षेत्र में बना है और उसकी अनुमानित कीमत 151 करोड़ है। लेकिन उस होटल को मात्र 7.5 करोड़ रूपए में भारत होटल्स को बेच दिया गया, इससे सरकार को काफी राजस्व की क्षति हुई है।
"पंगु नौकरशाही योजनाओं को लागू नहीं कर सकती"
शौरी ने कहा कि सामान्य तौर पर निवेशक तथ्यों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं, जिसके आधार पर वह निवेश का फैसला करते हैं। 5 से 10 साल बाद अब आप कह रहे हैं कि उस समय उन्होंने जो अनुमति दी थी, वह गलत है।
उन्होंने कहा कि पीएम का एक प्रमुख उद्देश्य नौकरशाही को क्रियाशील करना है। लेकिन तब क्या होगा जब किसी अधिकारी पर सेवानिवृत्ति के 10 साल बाद कोई आरोप लगा दिया जाए और उसने 12 साल पहले कोई फैसला किया था। ऎसे मामलों से पीएम के उद्देश्य विफल साबित होंगे। हताश और पंगु नौकरशाही कभी भी पीएम की योजनाओं को लागू नहीं कर सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार को एक ऎसी व्यवस्था पर विचार करना चाहिए, जिसमें उन लोगो के खिलाफ सजा का प्रावधान हो जो गुमनाम या मौखिक शिकायतों के आधार पर किसी भी मामले की जांच शुरू कर देते हैं।
"होटल बेचते समय वित्तीय सलाहकारों के सुझावों को ध्यान में रखा"
शौरी ने मूल्य तय करने के प्रावधानों पर जांच एजेंसियों को ज्ञान बढ़ाने की भी सलाह दी।
उन्होंने कहा कि लक्ष्मी विलास होटल की कीमत तय करने में वित्तीय सलाहकारों और आईटीडीसी के संयुक्त सुझावों को ध्यान में रखा गया था।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कीमत तय करने वाली संस्थाओं को प्रजेंटेशन के लिए बुलाया गया था। उन संस्थाओं की योग्यता और अनुभव देखे गए थे। जिसमें से केवल एक संस्था को चयनित किया गया था।
उन्होंने बताया कि कानून मंत्रालय ने होटल को बेचने के संबंध में शेयरधारकों के समझौते के मसौदे की तीन बार जांच की थी।
गौरतलब है कि लक्ष्मी विलास होटल के बिक्री में भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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