प्रेमचंद जयंती पर हुआ भाषण प्रतियोगिता का आयोजन
बाड़मेर। 
प्रेमचंद का नाम हिंदी के उन महबूब लेखकों में शुमार है, जिनकी पहुंच केवल साहित्य समाज तक नहीं है। हिंदी और उर्दू, दोनों के साहित्य में प्रेमचंद का योगदान युग- निर्माता जैसा होने के साथ अविस्मरणीय है।यह बात राजकीय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय मंे मुंशी प्रेमचंद जयंती पर आयोजित समारोह के दौरान मुख्य अतिथि पुखराज गुप्ता ने कही। 
गुप्ता ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के आगमन से हिंदी गद्य अचानक इतना विकसित हो गया कि वह दुनिया की अनेक समर्थ भाषाओं से होड़ लेने लगा। उन्हांेने इस दौरान मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासांे की विशिष्टता को उजागर करते हुए उनके साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। समारोह की अध्यक्षता करते हुए डा.बंशीधर तातेड़ ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने यह कमाल सादगी से हासिल किया। उनका लेखन हमें यह सिखाता है कि सादगी में सौंदर्य कैसे पैदा किया जा सकता है। उनकी लेखनी के स्पर्श से चिमटा जैसी साधारण वस्तु भी सुंदर लगने लगती है। ईदगाह कहानी के हामिद के हाथ से एक बार चिमटा लेकर देखने के लिए उसके हम उम्र साथियों का ही नहीं, हमारा मन भी मचल उठता है। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के रचना संसार में हमारी मुलाकात जिन लोगों से होती है, वे हमारे रोजमर्रा के जीवन के ही पात्र होते हैं। इस दौरान विशिष्ठ अतिथि डा.लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। उन्हांेने प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान के बारे मंे विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान विशिष्ठ अतिथि कन्हैयालाल जोशी एवं अशोक गोयल ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व की सरलता एवं सहजता पर प्रकाश डाला। इससे पहले मां सरस्वती की तस्वीर के आगे पूजा अर्चना एवं मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण के साथ समारोह प्रारंभ हुआ। इस दौरान पुस्तकालयाध्यक्ष जगदीश कुमार गर्ग ने हाद्र्विक आभार जताते हुए कुछ प्रेरणास्पद मुक्तक पढे़। इस दौरान प्रबुद्व वर्ग मंे मुकेश जैन, दिलीपसिंह,बंशीलाल, भुवनेश जोशी ने मुंशी के साहित्य की विस्तार से व्याख्या की।
राजकीय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष जगदीश कुमार गर्ग ने बताया कि प्रेमचंद जयंती पर दो भाषण प्रतियोगिता दो समूहांे मंे आयोजित की गई। इसके तहत छात्र-छात्रा समूह के लिए भाषण प्रतियोगिता का विषय मेरे प्रिय साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का जीवन एवं कृतित्व एवं बुद्विजीवी वर्ग के लिए विषय मुंशी प्रेमचंद का हिन्दी साहित्य मंे योगदान रखा गया था। इस प्रतियोगिता मंे प्रथम स्थान पर अक्षय गुप्ता, द्वितीय विक्रम चारण एवं सुमेर दान, तृतीय स्थान पर तेजमालसिंह रहे। इनको अतिथियांे द्वारा सम्मानित किया गया। समारोह एवं भाषण प्रतियोगिता का संचालन क्रमशःव्याख्याता लक्ष्मणराम चैधरी एवं वरिष्ठ अध्यापक मुकेश जैन ने किया। निर्णायक की भूमिका बाबूलाल मेघवाल, अशोक कुमार गोयल, दिलीप सिंह ने निभाई।

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