बाबा के जयघौषों से गूंज उठी रामदेवरा नगरी , ध्वजाओं से रंग-बिरगा हो गया रामसापीर का दरबार
जैसलमेर रामदेवरा ,
जन-जन का आराध्य देव बाबा रामसापीर की अवतरण तिथि भादवा-षुक्ला बीज को प्रदेष के साथ ही अन्य पड़ौसी प्रांतों से कौने-कौने से पहुंचे बाबा के भक्तों का रुणैचा नगरी में ज्वार उमड़ पड़ा एवं संपूर्ण रामदेवरा नगरी आस्था में हिलौरे मारने लगी। कष्ट और पीड़ा की परवाह किए बिना ही कौसों दूरी से आए पैदल भक्तजनों ने बाबा की दूज पर समाधी के दर्षन कर अपने आपको धन्य महसूस किया।
630 वें भादवाषुक्ला बाबा रामदेवरा के मेले में बाबा की बीज को मंगला आरती के साथ ही बाबा के भक्तजन अपने ईष्टदेव की समाधी के दर्षन के लिए उमड़ पड़े एवं अपनी आस्था के साथ श्रृद्धा भाव से दर्षन किए एवं पूजा-अर्चना कर मनोयोग के साथ प्रसाद चढ़ाया। बाबा के भक्तों ने बाबा के जयकारों से पूरी रामदेवरा नगरी को गुंजायमान कर दिया।
देष के कौने-कौने से रामदेवरा पहुंचे पुरुष व महिला भक्तजनों से अपने बच्चों के साथ भीड़ की परवाह किए बिना ही भक्ति भावना के साथ बाबा की समाधी के दर्षन करने से पीछे नहीं रहे।
बाबा की बीज पर लगभग 5 किलोमीटर तक लम्बी-लम्बी लाईनें बाबा के भक्तों की लगी हुई थी एवं वे पूरी आस्था के साथ अपनी-अपनी बारी से कतार में खड़े होकर बाबा की समाधी के दर्षन का पुण्य लाभ ले रहे थे।
मेला मेला प्रषासन द्वारा कतारबद्ध खड़े दर्षनार्थियों के लिए पानी की समुचित व्यवस्था की गई। वहीं उन्हें सुगमतापूर्वक दर्षन करवाए जा रहे थे। रुणैचा नगरी में आस्था का ऐसा माहौल चारों ओर दिखाई दे रहा था जहां रामदेवरा नगरी में कौने-कौने में पसरे हुए थे। मेले में आए भक्तजन पवित्र रामसरोवर तालाब में जहां डूबकी का आनंद ले रहे थे। 
सहायक मेलाधिकारी एवं तहसीलदार सुभाष हेमानी एवं विकास अधिकारी नारायणलाल सुथार ने बताया कि बाबा की बीज को अनुमानतः 2 लाख से अधिक श्रृद्धालुओं केे बाबा की समाधी के दर्षन करने का अनुमान है।

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