साधु-संत करेंगे स्वास्थ्य जागरूकता की अनूठी पहल

-सामाजिक बदलाव को लेकर विभाग ने उठाया कदम, हुई कार्यशाला

बाड़मेर। 
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य जागरूकता के लिए एक अनूठी पहल करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने साधु-संतों, धर्म गुरूओं और स्थानीय कथा वाचकों को स्वास्थ्य विभाग के साथ जोड़ा है। इस अनूठी पहल के तहत साधु-संतों को उनके पास आने वाले अनुयायियों को स्वास्थ्य के लिहाज से जागरूक करने की अपील की गई है ताकि जिले में एक भी बच्चा टीकाकरण या अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाड़मेर जिले की बायतु ब्लाॅक में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें इलाके के साधु-संतों, मठाधीशों और स्थानीय कथाकारों को शामिल किया गया। कार्यशाला में इन्हें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों के साथ ही बच्चों के टीकाकरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में इन्हें बताया गया कि टीकाकरण के अभाव में बच्चे अकारण ही बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, जबकि नियमित टीकाकरण के जरिए बच्चों के स्वास्थ्य को दुरूस्त रखा जा सकता है। 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. फूसाराम बिश्नोई ने बताया कि एक सामाजिक बदलाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग के जयपुर स्थित राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान और स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर के संयुक्त तत्वावधान में इस पहल पर गतिविधियां आयोजित की गई हैं। पहले दिन बायतु में इनके साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जयपुर से आए डाॅ. विशाल, अर्चना सक्सेना व यूनिसेफ प्रतिनिधि गिरजादेवी ने टीकाकरण आदि पर जानकारी दी। इस दौरान बायतु बीसीएमओ डाॅ. एसके बिष्ट स्थानीय भाषा में साधु-संतों, बाबाओं से रूबरू होते हुए उन्हें ग्रामीणों को टीकाकरण करवाने और किसी भी बीमारी होने की स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र पर आने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के दौरान इन साधु-संतों से अपील की गई कि वे अपने स्तर पर अनुयायियों को उनके बच्चों का पूर्ण टीकाकरण करवाएं एवं गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रमों का लाभ लेने की जानकारी दें। कार्यशाला के दूसरे दिन विभाग ने इन बाबाओं, साधु-संतों को क्षेत्र में टीकाकरण कार्यक्रम को प्रत्यक्ष रूप से दिखाया और उनके महत्व को समझाया। कार्यशाला में विभिन्न वीडियो फिल्मों के जरिए विस्तार से टीकाकरण, प्रसव आदि की जानकारी देने का प्रयास किया गया। 
क्षेत्र में जाकर देखी स्वास्थ्य सेवाएं, हुई स्वास्थ्य जांच
जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई ने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ साधु-संत, बाबा, धर्म गुरू आदि बायतु क्षेत्र के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचे। इस दिन पांच अलग-अलग टीमें बनाई गईं, जिनमें इन लोगों के साथ विभागीय अधिकारिगण शामिल रहे। इस दौरान इन्हें स्वास्थ्य केंद्रों का अवलोकन करवाया गया और आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण दिवस प्रत्यक्ष रूप से दिखाया गया। साथ ही टीकाकरण का महत्व समझाते हुए टीकाकरण लगवाने के समय आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी की गई। राज्यस्तरीय अधिकारी अर्चना सक्सेना ने बताया कि इस दिन सवाउ मूलराम, अकदड़ा, दर्जियों की ढाणी, सिमुडि़या आंगनबाड़ी केंद्रों व सीएचसी बायतु पर टीेमें गईं और मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस का अवलोकन किया। इस दौरान सभी को टीकाकरण से वंचित बच्चों को होने वाली विभिन्न बीमारियों, उचित पोषण के अभाव में होने वाले कुपोषण, दस्त रोग आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। वहीं प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात होने वाली जांचों, टीकाकरण आदि की जानकारी भी दी गई ताकि एमसीएचएन डे का महत्व सभी को पता चले और समाज में प्रतिष्ठित ये सभी लोग आमजन को प्रेरित कर सकें। कार्यशाला के दौरान यहां मौजूद सभी बाबाओं, धर्म गुरूओं की स्वास्थ्य जांच की गई। इनके बीपी, वजन आदि के साथ ही आवश्यकतानुसार अन्य जांचे की गई। जरूरत अनुसार संबंधित को सीएचसी से दवा भी दी गई। बीसीएमओ डाॅ. एसके बिष्ट ने बताया कि हर व्यक्ति को स्वास्थ्य जांच की समय-समय पर आवश्यक होती है और जांच से ही विभिन्न बीमारियों से बचा जा सकता है। 
इसलिए जरूरत है जागरूकता की
बाड़मेर जिला राजस्थान के दस प्रमुख हाई प्रायोरिटी डिस्ट्रिक्ट (एचपीडी) में शामिल है। यहां प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य से संबंधित आंकड़े राज्य की तुलना में अधिक है। इसके लिए जिले में शिशु मृत्यु, मातृ मृत्यु, टीकाकरण एवं नवजात शिशु की देखभाल के क्षेत्र में समुदाय के साथ जुड़कर बहुत काम करने की जरूरत है। खासकर दूर-दराज के क्षेत्रों, ढाणियों और सीमावर्ती क्षेत्रों में इन मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। सीएमएचओ डाॅ. बिश्नोई के अनुसार यदि आमजन पूर्णतः जागरूक हो तो टीकाकरण शत-प्रतिशत हो सकता है और यदि शुरूआत से संपूर्ण टीकाकरण होने लगे तो विभिन्न बीमारियों से बचाव संभव है। इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति भी आमजन में जागरूकता की दरकार है, जबकि हमारे जिले की संस्कृति अनुरूप लोग आज भी साधु-संतों, बाबाओं, भोपा व धर्मगुरूओं में अटूट आस्था रखते हैं और ये हमारे दैनिक दिनचर्या के हिस्से हैं। वर्तमान में हम इन्हें पूर्णतः नकार नहीं सकते, इसीलिए राज्यस्तर से इन्हीं लोगों के जरिए आमजन को जागरूक करने की अनूठी पहल की गई जिसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि हमें हमारे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हर कदम उठाने की जरूरत है ताकि देश के आने वाले भविष्य को हम सुरक्षित कर सकें। 

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