आधा दर्जन सीटें बनी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्नबाड़मेर सहित आधा दर्जन सीटें बनी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न
जयपुर।
राजस्थान में मिशन-25 लेकर चल रही भाजपा के लिए करीब आधा दर्जन सीटें कड़ी टक्कर और प्रतिष्ठा वाली हो गई है। टिकट वितरण को लेकर उपजे असंतोष्ा वाली सीटों और कांग्रेस के दिग्गजों के सामने उतरे प्रमुख उम्मीदवारों को जिताने के लिए पार्टी पूरा जोर लगा रही है। पार्टी विधायकों को सत्ता में भागीदारी में प्रमुखता देने का आश्वासन भी दिया जा रहा है ताकि वे अधिकाधिक वोट प्रत्याशी के पक्ष में डलवाएं। बाड़मेर, जयपुर ग्रामीण, सीकर समेत कई लोकसभा क्षेत्र के विधायकों को तो बाकायदा जयपुर बुलाकर ताकीद भी की गई है कि किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 
बाड़मेर
यहां कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए कर्नल सोनाराम को उतारा गया है और जसवंत सिंह बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। घर से अपना आखिरी चुनाव लड़ने की बात कहकर जसवंत सिंह चुनाव को भावनात्मक बनाने का प्रयास करने में जुटे हैं। भाजपा को डर है कि कहीं मानवेन्द्र की तरह क्षेत्र के अन्य विधायक भी गुपचुप जसवंत का साथ ना दे दें। कुछ दिन पहले पार्टी ने वहां के कुछ पदाधिकारियों को निष्कासित भी किया है। इस लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से सात भाजपा के पास है और भाजपा को इन आठ विधानसभा सीटों पर 51 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को यहां 40 प्रतिशत वोट मिले।
जयपुर ग्रामीण
भाजपा ने कांग्रेस के सी.पी. जोशी के सामने ओलम्पिक पदक विजेता राज्यवर्द्धन सिंह को उतारा है। हालांकि उनके राजनीति नई है, लेकिन पार्टी को मोदी लहर से उम्मीद है। समीकरण यहां 2009 वाले ही हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में पांच भाजपा विधायक हैं, तो दो कांग्रेसी और एक राजपा विधायक हैं। वष्ाü 2009 में भी यही स्थिति थी और कांग्रेस उम्मीदवार जीता था। विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से चार प्रतिशत वोट ही अधिक मिले हैं। ऎसे में यह सीट पार्टी के लिए संघर्षपूर्ण हो सकती है। 

अजमेर
यहां सचिन पायलट को घेरने के लिए अजमेर जिले के कद्दावर नेता मंत्री सांवरलाल जाट को मैदान में उतारा है। इस लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटों में सभी विधायक भाजपा के हैं, फिर भी पार्टी को मुकाबला चुनौतीपूर्ण लग रहा है। मंत्री को मैदान में उतारने से यह सीट ज्यादा प्रतिष्ठा वाली हो गई है, क्योंकि विपरीत नतीजे आए तो चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हो सकता है। 

झुंझुनूं
भाजपा ने यहां विधायक संतोष्ा अहलावत को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर राजपूत उम्मीदवारों की दावेदारी भी थी। पार्टी ने जीतने के लिए राजपूत उम्मीदवार की जगह कांग्रेस की जाट उम्मीदवार के सामने जाट को ही उतार नया पासा फेंका है। सीट पर विधायक राजकुमार शर्मा भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऎसे में भाजपा के सामने सबसे बड़ा संकट गैर जाट मतों के विभाजन का है। गत विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो भाजपा को यहां कांग्रेस के साथ-साथ निर्दलीयों से भी कड़ी टक्कर मिली थी। आठ विधानसभा सीटों में से तीन भाजपा, एक कांग्रेस और चार अन्य के पास हैं।

नागौर
नागौर सीट से वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाने वाले आरपीएससी के पूर्व चेयरमैन सी.आर. चौधरी को टिकट दिया गया है। कांग्रेस-बसपा के कई दिग्गज लगातार पार्टी के सम्पर्क में हैं। पार्टी को उम्मीद है कि जिस तरह से इस लोकसभा की आठ में से सात विधानसभा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं, उसी तरह का परिणाम इस चुनाव में भी नजर आएगा। हालांकि कभी भाजपा में रहे निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल भी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।

सीकर
सीकर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी से बागी होकर सुभाष्ा महरिया चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के सुमेधानंद, कांग्रेस के पी.एस.जाट और निर्दलीय सुभाष्ामहरिया तीनों ही जाट हैं। महरिया का विरोधी धड़ा सुमेधानंद के साथ जरूर है, पर पार्टी का एक धड़ा महरिया के साथ भी है। विधानसभा की आठ सीटों में से छह पर भाजपा के विधायक हैं।

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