बच्चे भारतीय संस्कृति के वाहक - देवतवाल
जैसलमेर। 
इस देष के बालकों को भारतीय संस्कृति के दर्षन करवाए जाऐ और संस्कृति के मूल आयामों से अवगत कराया जाए तो ये बच्चे पष्चिमी संस्कृति से किनारा करने लगेंगे। इससे हमारे देष की सभ्यता और संस्कृति का प्रचार-प्रसार भी होगा। ये उद्गार जिला षिक्षा अधिकारी, प्रारंभिक किषनलाल देवतवाल ने सीसीआरटी के तीन दिवसीय कार्यषाला के समापन सत्र् में स्थानीय राउप्रावि पुलिस लाईन में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि ‘अनेकता में एकता‘ हमारी संस्कृति की मुख्य पहचान हैं। यही कारण हैं कि विदेषी छात्र यहाँ की संस्कृति का अध्ययन करने के लिए आते हैं। 
इससे पूर्व कार्यषाला के संयोजक देवकिसन चारण ने जैसलमेर के मेलो और तीज-त्यौहारों पर प्रकाष डाला। उन्होने हवेलियों और कुंआ बावडियों के संरक्षण की आवष्यक दर्षाते हुए नई पीढी को आगे आने का आह्वान किया। विषिष्ट अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कृत ओम जोषी ने कहा कि भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति ही यहां की पहचान हैं इस देष ने कई धर्माे संस्कृतियों, सम्प्रदायों और अवधारणाओं का पोषण किया हैं। हमें अपनी कला और संस्कृति का संरक्षण करना हैं और यह कार्य षिक्षकों और छात्रों के माध्यम से भलीभांति हो सकता हैं। षिविर में जेठुदान, माधाराम व किस्मत कुमारी आदि संभागियों नें भी प्रषिक्षण की महता पर अपने विचार व्यक्त किए। 

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