गरीबी में पैदा होना एक घटना है पर गरीबी में मरना कलंक- रामकिषोराचार्य
बाड़मेर 
गरीबी में जन्म लेना एक घटना हो सकती है पर पर गरीबी में मरना जवानी पर कलंक है। बड़े - बड़े उद्योगपतियों के जीवन को देखो उन्होने कितने परूशार्थ किये तब उन्होने धन और यष प्राप्त किया। जीवन के हर क्षण का उपयोग करके परमात्मा पर भरोसा रख कर धन एवं यष कमाया जा सकता है। धन के बल पर मौज मस्ती करना एक कलंक है। भागवत में कुबेर के पुत्रों नलकुबेर एवं मणिग्रीव में एक को धन का एवं रूप का अभिमान था, अतः उन्हे नारद जी ने श्राप से बृज में जुड़वा अर्जुन का पेड़ बना दिया। जिन्हे भगवान कृश्ण ने बालक रूप में माॅ यषोदा द्वारा उखल से बाधने पर उनका उद्धार किया। हमारे पुराणों में सम्पूर्ण प्राणियों को षाष्वत सुख षांति और सोहार्द का संदेष दिया है। ये उद्गार मरूधर पीठाधीष्वर महामण्डलेष्वर 1008 श्री राम किषोराचार्य जी महाराज द्वारा स्व. चतुर्भज जी पारीक की स्मृति में षिव कुटिया के सामने, सुमेर गौषाला मैदान में आयोजित भागवत कथा के छठे दिवस की भागवत कथा के अपने प्रवचन में कही।
इससे पूर्व मुख्य यजमान श्रीमती अयोध्या देवी एवं उनके परिवार द्वारा भागवत जी, व्यास पीठ एवं महाराज जी का पूजन किया गया। आज की कथा में भगवान की महारास, फूलों की होली तथा रूख्मणी विवाह के प्रसंग प्रमुख रहे।
षनिवार को कथा की पूर्णाहुति मे दिन सुदामा चरित्र एवं राज परिक्षित के मौक्ष की कथा का वर्णन होगा षुक्रवार की कथा में महारास एवं रूख्मणी विवाह की मनाहर झांकियां एवं मंच सज्जा का कार्य पवन आसेरी द्वारा एवं कार्यक्रम का संचालन आनन्द गुप्ता द्वारा किया गया।

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