साध्वी प्रियरंजनाश्री का भाड़खा नगर प्रवेश हुआ सम्पन्न
बाड़मेर।
रेगिस्तान के मरूधरा में मालाणी क्षेत्र के अन्तर्गत भाड़खा नगर में पूज्य साध्वीवर्या श्री प्रियरंजनाश्री आदि ठाणा-2 का भव्य नगर प्रवेश शनिवार प्रातः 10 बजे सम्पन्न हुआ।
जैन श्री संघ भाड़खा के सदस्य मेवाराम सिंघवी, मदन चैपड़ा ने संयुक्त बताया कि पूज्य साध्वीवर्या की पावन निश्रा में जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान के प्रतिष्ठा की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में दो दिवसीय कार्यक्रम आरम्भ हुए।
शनिवार को प्रातः 10 बजे पूज्य साध्वीवृंदों का भव्य गाजे-बाजे से सामैया द्वारा स्वागत किया गया। प्रवेश की शोभायात्रा स्टेशन रोड़ से नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई जैन उपाश्रय पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुई। जहां पूज्य साध्वीवर्या का मंगल प्रवचन हुआ।
धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए साध्वी प्रियरंजनाश्री ने कहा कि मन ही हमारा मित्र है और मन ही हमारा शत्रु है। इस सूत्र को समझना जरूरी है। मन मुझसे अलग है। मैं मन नहीं हूं। उठते हुए विचार और विचारों के बुलबुले यह सब मन के परिणाम हैं।
जिस व्यक्ति ने मन का उपयोग करना सीख लिया वह व्यक्ति मन से परे स्वयं के चैतन्य जगत् को प्राप्त कर लेता है। मन का वातावरण अलग है। मन यदि इन्द्रियों से जुड़ता है, शरीर से जुड़ता है, संसार से जुड़ता है, बाह्य आकर्षण से जुड़ता है तो वह नाना योनियों में भटकाता है, नाना विचारों में भटकता है। मन यदि संसार से जुड़ता है तो भटकता है और भटकाता है तो भटकाता है। यदि संयम से, निजी चेतना से जुड़ता है तो स्थिर होता है और स्थिर बनता है तो सिद्ध शिला पर स्थित हो जाता है।
मन के दो हिस्से हैं। एक हिस्सा हमें अपने आप से जोड़ता है और दूसरा हमें अपने आप से जोड़ता है और हमें अपने आप से तोड़ता है। हमें चलाने वाला मन होता है तो रोकने वाला भी मन है। क्रोध की भूमिका तैयार करने वाला मन है तो क्षमा का आदर्श समझाने वाला भी मन ही है।
मन संसार से जुड़ता है तो वह हमारा शत्रु बन जाता है और यही मन जब चेतना से जुड़ता है तो हमारा परम मित्र बन जाता है। मन की हलचल को समझे बिना मन को स्थिर कभी नहीं किया जा सकता है और मन की हलचल को समझे बिना और शांत किये बिना मन के पार नहीं पहुंचा जा सकता है।
इसके बाद दोपहर 12.36 बजे 18 अभिषेक का महापूजन एवं स्वामीवात्सल्य का आयोजन तथा सायंकालीन आरती व रात्रि में भक्ति संध्या का आयोजन भाड़खा जैन श्री संघ द्वारा आयोजित किया गया।
इस अवसर पर बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन एवं चिंतामणदास कोटड़िया का भाड़खा जैन श्री संघ ने स्वागत किया। इस अवसर पर विधायक ने कहा कि मानव जीवन मिलना बहुत दुर्लभ है। अपनी आत्मा का कल्याण करें एवं सामाजिक कुरीतियों एवं दुव्र्यसनों को छोड़ने की बात कही एवं पूज्य साध्वी के बताये हुए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। इस अवसर पर चिंतामणदास कोटड़िया ने तन-मन-धन से सहयोग करने की बात कही।
जैन श्री संघ के सदस्य जगदीश मालू ने बताया कि दिनांक 12 जनवरी रविवार को प्रातः 10 बजे सतरह भेदी पूजन तथा दोपहर 12.36 बजे नेमिनाथ जिनालय पर ध्वजारोहण होगा। तत्पश्चात् स्वामीवात्सल्य तथा दोपहर 2.30 बजे दादा गुरूदेव की पूजा का आयोजन होगा जिसका सम्पूर्ण लाभ स्व. श्रीमती ढेली देवी धर्मपत्नी स्व. नेमीचन्द करनमल पारख परिवार हरसाणी ने लिया।
इस अवसर पर विधिकारक उदयगुरूजी, संगीतकार पुखराज बी. सैन द्वारा विधि विधान एवं संगीत की रमझट जमाएंगे।
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