अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव का विधिवत शुभारम्भ
बीकानेर,
इक्कीसवें अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव का विधिवत शुभारम्भ बुधवार को डाॅ करणी सिंह स्टेडियम में सांसद अर्जुन राम मेघवाल, बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्रा विधायक सिद्धि कुमारी और जिला कलक्टर आरती डोगरा सहित अन्य अधिकारियों ने सफेद कबूतर और गुब्बारे हवा में छोड़कर किया। ढोल-नगाड़ों की थाप और सैकड़ों देशी-विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी में अतिथियों ने जैसे ही समारोह शुरू हुआ, समूचा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
तीन दिन तक चलने वाले इस महोत्सव की शुरूआत शोभायात्रा से हुई। रतन बिहारी पार्क से रवाना होकर ऐतिहासिक शोभायात्रा जब डाॅ करणीसिंह स्टेडियम पहुंची तो मानो राजस्थान की सुरंगी संस्कृति स्टेडियम के प्रांगण में साकार हो उठी। मोटर साइकिलों पर रौबीलों के साथ पारम्परिक राजस्थानी वेशभूषा में सजी-धजी विदेशी महिलाएं और श्रृंगारित ऊंटांे पर बैठे रौबीले आकर्षण का प्रमुख केन्द्र थे। राजस्थान के पारम्परिक गैर और कालबेलिया नृत्य करते दल को देखकर देशी-विदेशी पर्यटक झूम उठे। सिर पर कलश रखकर महिलाएं जब समारोह स्थल से गुजरी तो ऐसा लगा जैसे वे बीकानेर की धार्मिक और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि को रेखांकित कर रही हों। राजस्थानी लोक वाद्य यंत्रों के साथ पंजाब और हिमाचल प्रदेश से आए लोक कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक कलाओं के रंग बिखेरे तो देशी और विदेशी पर्यटकों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
दिखे ऊंट के विभिन्न रंग
एक ओर जहां शोभायात्रा में सजे-धजे ऊंट आकर्षण का केन्द्र थे तो वहीं इनकी बहुउपयोगिता भी प्रदर्शित की गई। सुदूर गांवों में रहने वाले लोगों के आवागमन के साधन के रूप में ऊंट गाडे के महत्त्व, खेती के दौरान हल जोतने और बोझा ढोने में ऊंट की उपयोगिता का जीवंत चित्राण देखना विदेशी पर्यटकों के लिए अच्छा अनुभव रहा। सजे-धजे ऊंटों पर बैठे रौबीले जब हवा में तलवार लहराते हुए राजस्थान की गौरवमयी झांकी प्रस्तुत कर रहे थे तो पर्यटकों में इस ऐतिहासिक क्षण को अपने कैमरों में कैद करने की हौड़ सी मच गई। वहीं दूसरी ओर राजस्थानी वेशभूषा में सजी विदेशी महिलाएं भी मरू रंग में रंगी नजर आ रही थी।
इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) के एम दूड़िया, अतिरिक्त कलक्टर (नगर) दुर्गेश कुमार बिस्सा, उपखण्ड अधिकारी अनुपमा जोरवाल, सहायक कलक्टर डाॅ विक्रम जिंदल, नगर परिषद के पूर्व सभापति अखिलेश प्रताप सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद थे।
फीता काटकर फोटो प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
बीकानेर, 15 जनवरी। संभागीय आयुक्त आनंद कुमार ने बुधवार से शुरू हुए तीन दिवसीय ऊंट उत्सव के तहत जूनागढ परिसर में फीता काटकर फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर जिला कलक्टर आरती डोगरा भी मौजूद थीं।
स्थानीय 13 छायाकारों द्वारा विगत वर्षों में ऊंट उत्सव सहित शहर की संस्कृति के रंगों से सरोबार इस फोटो प्रदर्शनी में 150 से अधिक चित्रों का प्रदर्शन किया गया है। इन तस्वीरों के अवलोकन के लिए पहले दिन बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचे। बीकानेर व्यापर मंडल के सौजन्य से लगाई गई इस प्रदर्शनी में अजीज भुट्टा, बी जी बिस्सा, नौशाद कादरी, रौनक व्यास, दिनेश गुप्ता, गुलाम रसूल, दिनेश ओझा, मनीष पारीक, राजेश सोनी, आलम सिंधी, राकेश शर्मा,, बी जी बिस्सा और ओम मिश्रा आदि फोटोग्राफर के चित्रों का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनी 18 जनवरी तक सुबह 11 से शाम 5 बजे दर्शकों के लिए अवलोकनार्थ खुली रहेगी।
जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग की ओर से लगाई गई इस प्रदर्शनी में बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के अध्यक्ष शिवरतन अग्रवाल सहित के एल बोथरा, घनश्याम लखाणी, मक्खनलाल अग्रवाल तथा हेतराम गौड़ सहित बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित थे।
ऊंट उत्सव के प्रथम दिन
जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ऊंट उत्सव के प्रथम दिन बुधवार को डाॅ.करणी सिंह स्टेडियम में रेगिस्तानी जहाज ऊंट के करतब, विशेषताओं, विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। वहीं आर्मी व आर.ए.सी. की बैंड पार्टी ने चिताकर्षक धुनों से लोगों को आनंदित किया। उत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम भी गुरुवार को दोपहर साढ़े बारह बजे से होंगे।
उत्सव में हुई ऊंट नृत्य प्रतियोगिता में झुंझुनूं के भडूदा गांव के रामावतार जाट का काला ऊंट ‘मिन्टू’ प्रथम रहा। दस वर्षीय मिन्टू ने बिना चाबुक व रस्सी के दोनों पैर उठाकर नृत्य किया। वहीं कोलायत तहसील के मोटासर गांव के मौज अली बलोच के 5 वर्षीय ऊंट मस्ताना ने मस्ती भरे नृत्य से दूसरा स्थान पाया। ओमान के बादशाह के ऊंटों को प्रशिक्षित करने वाले मौज अली बलोच के ़ऊंट ने उछाल, खड़ी जम्प के साथ माला पहनाने, शेर की तरह बैठने, पिछले पांवों को अपने मालिक के सिर पर रखने आदि के करतब किए। इस ऊंट पर तीन लोगों ने खड़े होकर नृत्य का भी प्रदर्शन किया। ऊंट नृत्य प्रतियोगिता में मंजूर खां का ऊंट तृतीय रहा।
ऊंट सजावट प्रतियोगिता में सूरजा राम के ऊंट ने पहला, रामलाल के ऊंट ने दूसरा तथा लक्ष्मण राम के ऊंट ने तीसरा स्थान पाया। ऊंटों ने पारम्परिक मोती, चीढ़, कोड़ी, कांच, हस्त शिल्प गोरबंध के साथ आधुनिक क्रृत्रिम फूलों आदि के बने गोरबंध, आकर्षक पलाण, काठी, गले में कंठी,कंठा, चान्दी के गहने, पैरों में पायल, नेवरी, मेारी में उपयोग होने वाला ेबेलचा सहित अनेक प्रकार के गहने पहने हुए थे। कई ऊंटों पर तिरंगा लहरा रहा था।
ऊंटों की बालों की बेहतरनी कतराई कर उससे विभिन्न तरह की आकृतियों को उकेरने की प्रतियोगिता में गोविंद राम ने पहला व जापान की युवा कलाकार मैमुगी तकसी ने दूसरा तथा अमरा राम के ऊंट ने तीसरा स्थान हासिल किया। जापान की इस कलाकार ने रेगिस्तान में समुद्री जन जीवन को ऊंट के बदन पर उतारा था।
मिस मरवण प्रतियोगिता में सुश्री ़ऋचा सिंह पंवार ने पहला, मोनिका ठाकुर ने दूसरा तथा सुश्री कुसुम बिश्नोई ने तीसरा स्थान पाया। प्रतियोगिता में 14 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वहीं मिस्टर बीकाणा प्रतियोगिता में अनिल कुमार बोड़ा प्रथम, कंवर लाल चैहान द्वितीय तथा रविन्द्र जोशी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। मिस्टर बीकाणा में 13 प्रतिभागियों ने राजस्थानी वेशभूषा में हिस्सा लिया। इसके अलावा 9 फीट की मूंछों वाले गिरधर व्यास की मूंछे भी देशी विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रही।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में बीकानेर की बाल कलाकार मानसी सिंह पंवार ने नुकीली कीलों, नंगी तलवार व कांच के टुकड़े आदि पर विभिन्न लोक गीतों के साथ नृत्य किया वहीं अशोक व पार्टी नू मयूर नृत्य, पेपे खां लंगा व पार्टी ने लोककगीत, जैसलमेर के अन्नू व हरीश एवं पार्टी ने भवई व घुटना नृत्य, गंगा एवं पार्टी ने तेरहताली नृत्य, बीकानेर के शशि कुमार सिंह व पार्टी ने कच्छी घोड़ी नृत्य, अलवर के सुप्रसिद्ध भपंग वादक स्वर्गीय जहूर खां मेवती के पुत्रा उमर फारुख मेवाती व शिष्य गफूर दीन ने पारम्परिक मेवाती गीत व व्यंग्यात्मक हास्य व्यंग्य के नगमों से सराहना लूंटी। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित, रविन्द्र हर्ष, किशोर सिंह तथा ज्योति प्रकाश रंगा ने किया।
ऊंट उत्सव के दूसरे दिन होगे कार्यक्रम
उत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को डाॅ.करणी सिंह स्टेडियम में दोपहर साढ़े बारह से डेढ़ बजे से तक रस्सा कस्सी, दो से ढ़ाई बजे क ऊंटनी के दूध निकालने की प्रतियोगिता होगी। उसके बाद महिलाओं की म्यूजिकल चैयर, व महिलाओं की मटका दौड़ स्पद्र्धा तथा शाम साढ़े छह बजे से साढ़े आठ बजे तक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। उसके बाद दर्शक आतिशबाजी का नजारा देख सकेंगे। उत्सव के अंतिम दिन 17 जनवरी को सभी कार्यक्रम लाडेरा में होंगे। लाडेरा में ग्रामीणों की खो-खो, धोरा चढ़ने, कब्बड़ी, कुश्ती, धोरा दौड़, दोपहर साढ़े तीन बजे ऊंट दौड़, अग्नि नृत्य, फायर नृत्य व आतिशबाजी का आयोजन होगा।

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