गुलाबी नगरी की सर्द फिजाओं में शुरू हुआ साहित्य का महाकुंभ

शुरू हुआ साहित्य का महाकुंभ

जयपुर।
गुलाबी नगर की सर्द फिजा में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आगाज के साथ ही साहित्य के स्वर गूंज उठे। साहित्य उत्सव के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल माग्रेüट आल्वा ने लिटरेचर फेस्टिवल को साहित्यकारों का महाकुंभ बताया। इस दौरान नोबल पुरस्कार विजेता अमत्र्य सेन भी मौजूद थे। 
उन्होंने देश-विदेश से आए तमाम साहित्यकारों व रचनाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्यकारों के इस मेले से जयपुर की संस्कृति और साहित्य में निखार आता जा रहा है। द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन कर राज्यपाल ने देश-विदेश से आए सभी रचनाकारों का अभिवादन किया। 

रहता है इस साहित्य कुंभ का इंतजार : आल्वा

उद्घाटन के बाद उपस्थित मेहमानों को राज्यपाल माग्रेüट आल्वा ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की रचना में वो ताकत है, जो किसी को भी बदल सकती है। उन्होंने कहा कि साहित्य सम्मेलन जयपुर के लिए एक परंपरा बन गई है और इसके लिए सालभर गुलाबीनगर को इंतजार रहता है। 

उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के इस मेले से जयपुर की संस्कृति और साहित्य में निखार आता जा रहा है। लोग बेसब्री से इस उत्सव का इंतजार करते हैं। इस मौके पर राज्यपाल आल्वा ने पंचायतीराज व्यवस्थाओं को सत्ता के विकेंद्रीयकरण का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्थाओं का विकेंद्रीयकरण किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सबसे अहम कड़ी है।

लेखक राजनीतिक उत्थान के स्त्रोत : सेन

फ्रंट लॉन में हुए अर्थशास्त्री अमत्र्य सेन के सेशन चॉइसेज एंड फ्रीडम के दौरान सेन ने लिटरेचर फेस्टिवल को संगीत-साहित्य व संस्कृति का संगम बताया। उन्होंने कहा कि जयपुर में हर साल होने वाला साहित्य संगम काफी ऊंचे आयाम पर पहुंच गया है। 

उन्होंने लेखक और रचनाकारों को देश की राजनीति व उत्थान का प्रमुख स्त्रोत बताया और कहा कि ये वो कड़ी हैं, जो कि गांव से शहर तथा देश-विदेश की भावनाओं को एक दूसरे तक पहुंचाते हैं।

मर्यादा का ध्यान, सृजन से समझौता नहीं

हमने विवादित लेखकों से इस बार दूरी बना ली है। लेकिन लेखकों की सृजनात्मक स्वतंत्रता से हम समझौता नहीं करेंगे। यह कहना है जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के को-डायरेक्टर संजोय रॉय का। संजोय के मुताबिक, समाजिक मुद्दों को देखते हुए। इस बार हमने क्राइम और पनिशमेंट को साहित्य उत्सव से जोड़ा हैं। 

संजोय रॉय के मुताबिक, वैसे तो लिटरेचर फेस्टिवल साहित्य का महाकुंभ के रूप में जाना जाता है, पर इस बार राजनीतिक गलियारों की चर्चा भी साहित्य उत्सव में रहेगी। दीया कुमारी के राजनीतिक अनुभवों को बयां करने वाली किताब की लॉन्चिंग भी इस बार इस फेस्टिवल में होगी। शशि थरूर अन्य लेखक और कवि भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सेशन में अपने विचार रखेंंगे। 

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, पार्किग का लगेगा शुल्क

7वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस ने भी भारी बंदोबस्त किए हैं। कार्यक्रम के लिए करीब ढाई सौ पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। जिसमें एक डीसीपी व दो एडीसीपी हर समय निगरानी रखेंगे। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विशाल बंसल ने बताया कि चार स्तर पर हमने व्यवस्था बनाई है। 

इस बार पुलिसकर्मी एंट्री पास की जांच नहीं करेंगे। इसकी जिम्मेदारी निजी सुरक्षा एजेंसी को सौंपी गई है। कार्यक्रम के दौरान पार्किंग का ठेका दिया गया है और वाहन चालकों से शुल्क लिया जाएगा। जिससे सुरक्षा व व्यवस्थित पार्किंग हो सकेगी। वहीं ट्रैफिक पुलिस ने कार्यक्रम के मद्देनजर कुछ स्थानों पर ट्रैफिक डायवर्ट करने का निर्णय लिया है।

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