
जालोर में "जीवनदायिनी" बरपाने लगी कहर
जालोर।
राजस्थान के जालोर ज़िले में सरदार सरोवर बांध से निकलकर थार प्रदेश को हरा-भरा करने वाली नर्मदा नहर से जन उम्मीदें अब भी हरी नहीं हुई है। नर्मदा के नीर का व्यवस्थित वितरण नहीं होने से ओवरफ्लो की समस्या दिनों-दिन बढ़ रही है। जिला मुख्यालय सहित कई गांव आज भी नर्मदा के नीर की राह ताक रहे हैं तो दूसरी ओर नर्मदा का ओवरफ्लो पानी नेहड़ क्षेत्र के लिए कहर बनता जा रहा है।
शुक्रवार रात नर्मदा के ओवरफ्लो पानी के कारण केरिया क्रॉस बांध फूट गया। इससे दर्जनों गांवों की हजारों बीघा भूमि में बोई गई फसलें जलमग्न हो गई। तीन-चार फीट तक पानी के भराव के कारण खेतों ने दलदल का रूप अख्तियार कर लिया है। आबादी इलाके भी महफूज नहीं रह पाए। लोगों ने घरेलू सामान के साथ ऊपरी इलाकों में आश्रय बनाया है। दर्जनभर गांवों में आवागमन बाधित हो गया है। नेहड़ क्षेत्र के सायड़ा, लालपुरा, शिवपुरा, रतौड़ा, होथीगांव, कालियों की गढ़ी, सिलूसन, गोमी, रबारियों की गढ़ी, मालीपुरा, ठेलिया सहित कई गांवों में अक्सर परिवहन सुविधा बंद रहती है।
नाव का सहारा
केरिया क्रॉस बांध फूटने से बाढ़ के हालात भले ही हो गए हो, लेकिन यह नेहड़वासियों के लिए नई बात नहीं है। नर्मदा के ओवरफ्लो पानी के कारण यहां ये हालात अब आमतौर पर सामने आने लगे हैं। नेहड़ क्षेत्र के कई गांवों में परिवहन के लिए नाव का ही सहारा है। ओवरफ्लो नीर में रास्ता पार करने के लिए लोगों को नाव में बैठकर आवागमन करना पड़ रहा है। यहां तक कि विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए भी नाव से सफर तय करना पड़ता है।
खेती भी प्रभावित
नर्मदा नहर नेहड़ क्षेत्र के कई गांवों के लिए आफत बन गई है। गांव के खेतों में पानी भरने के कारण ग्रामीण पिछले तीन-चार साल से खेतों में फसलें नहीं उगा सके हैं। केरिया गांव के आस-पास करीब 492 हैक्टेयर में पिछले साल भी नर्मदा नहर का ओवरफ्लो पानी भर गया। क्षेत्र के कई गांवों की सरहद में पानी की आवक होने से कई खेतों में पानी भर गया। ऎसे में किसान खेती भी नहीं कर पा रहे हैं।
प्रशासन का उदासीन रवैया
नेहड़ क्षेत्र में नर्मदा के ओवरफ्लो पानी की समस्या के निदान को लेकर प्रशासन का रवैया भी उदासीन बना हुआ है। हालांकि, नेहड़वासियों की इस समस्या को लेकर राजस्थान पत्रिका कई बार इस मुद्दे पर समाचार प्रकाशित कर चुका है। लेकिन इसके समाधान को लेकर प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधि भी उदासीन है।
नहीं सुधरी व्यवस्था
नर्मदा नहर से पानी की वितरण व्यवस्था नहीं सुधर पाई है। ऎसे में यहां के लोगों को नीर की पीर सता रही है। नर्मदा नहर परियोजना के अधिकारी जल वितरण को लेकर कोई व्यवस्थित कार्य योजना नहीं बना सके हैं। ऎसे में नर्मदा नहर का ओवरफ्लो पानी लूनी व उसकी सहायक सूकड़ी नदी में छोड़ा जा रहा है। इससे दोनों नदियों के किनारे बसे गांवों में समस्या पैदा हो गई है। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
1993 में शुरू हुआ था काम
राजस्थान नर्मदा नहर परियोजना को लेकर 1993 में कार्य शुरू किया गया था। शुरूआत में अनुमानित लागत 467.53 करोड़ रूपए तथा वर्ष 2002-03 तक कार्य पूर्ण करना प्रस्तावित किया गया था। लेकिन मंथर गति के चलते कार्य तय अवधि में पूर्ण नहीं किया जा सका। इसके बाद वर्ष 2004 में 1975 करोड़ रूपए की संशोधित अनुमानित लागत से वर्ष 2009-10 तक पूर्ण करना प्रस्तावित किया गया।
2.46 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई
नर्मदा परियोजना से जालोर एवं बाड़मेर जिले के 233 गांवों की 2.46 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। वाटर एलाउंस की दर 1.31 से 2.51 घन फीट प्रति सैकेण्ड प्रति हजार एकड़ निर्घारित की गई है। जिले में सतही प्रणाली से 85 गांवों में 1.22 लाख हैक्टेयर, उत्थान प्रणाली से 40 गांवों में 0.41 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा दी जा रही है।
रातभर मचा रहा हाहाकार
चितलवाना. केरिया क्रॉस बांध टूटने से पहले नेहड़ क्षेत्र में स्याह अंधेरे के साथ सन्नाटा पसरा हुआ था। लेकिन जैसे ही ग्रामीणों को इसकी जानकारी जैसे ही ग्रामीणों को लगी वहां हाहाकार मच गया।अलसुबह तक ग्रामीणों की आवाजें सन्नाटे को तोड़ती रही।रातभर किसान परिजनों के साथ ही सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की मशक्कत करते रहे।
प्रशासन से नहीं मिली राहत
चितलवाना. बांध टूटने के बाद दर्जनभर गांवों के किसानों के सपनों पर पानी फिर गया, लेकिन प्रशासन की ओर से विस्थापित परिवारों के सहयोग के लिए कोई राहत कार्य शुरू नहीं किया गया। कई परिवार कड़कड़ाती सर्दी में भगवान के भरोसे के भरोसे आकाश तले गुजारा कर रहे हैं।
झाडियों ने रोका वेग
चितलवाना. बांध टूटने के बाद क्षेत्र में बहुतायत से उगी झाडियों के कारण पानी का वेग कम हुआ। जिससे तबाही होने से बच गई। कुछ ही किलोमीटर के बाद पानी का वेग कम हो गया।
उजड़ गए परिवार
चितलवाना. बांध टूटने के बाद आईबाढ़ से कईपरिवार उजड़ गए। खेतों व आबादी इलाकों में स्थित मकानों में पानी भरने से अधिकांश सामान खराब हो गया।वहीं झोपड़े भी पानी में डूब गए। ऎसे में कईपरिवारों ने झाडियों पर रेत के टीलों पर सामान रखकर रात गुजारी।अब भी इन परिवारों का आश्रय स्थल यह झाडियां और रेत के टीले बने हुए हैं।प्रशासन की ओर से कोईराहत नहीं मिलने से यह पीडित परिवार अब सिर्फभगवान भरोसे हैं।
मददगार बन बंटाया हाथ
चितलवाना. क्षेत्र के लोगों ने बाढ़ग्रस्त गांवों में पहुंचकर पीडित परिवारों का सामान व परिजनों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद की। सायड़ा निवासी राणाराम देवासी, भावाराम देवासी, भंवरलाल माल ने सहयोग की भावना से लोगों को सूचना देने के साथ ही नदी में बसे घरों के सामान व मवेशियों को बाहर निकालने में मदद की।
आवाज ने किया सतर्क
क्रॉस बांध टूटने से शुरूआती गांव में पानी काफी तेज वेग से बहा। लेकिन यहां बांध के टूटने की जोर से हुईआवाज से लोग सतर्क हो गए। आवाज सुनते ही इन लोगों ने गांव में अन्य लोगों को भी आवाज लगाकर व फोन लगाकर सूचना दी। जिससे समय रहते यह लोग सतर्क हो गए।
कर्ज में डूबे किसान
चितलवाना. नर्मदा नहर के ओवरफ्लो पानी के कारण केरिया क्रॉस बांध टूटने जहां किसानों की फसलें जलमग्न हो गई।वहीं अब उन्हें सेठ-साहुकारों व बैंकों से लिए ऋण को चुकाने की चिंता सताने लगी है।इससे किसान सदमे में है।
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