मंगलग्रह की ओर भारत के कदम, रचेंगे इतिहास
बेंगलूरू। 
रोशनी के पर्व दीपावली के दो दिन बाद भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर बाद दो बजकर 38 मिनट पर अपना मंगलयान प्रक्षेपित किया। 430 करोड़ रूपए के महत्वाकांक्षी मंगल ग्रह अभियान के लिए रविवार सुबह 6.08 बजे से आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा राकेट प्रक्षेपण केंद्र पर उलटी गिनती चल रही थी। लगभग 56 घंटे 30 मिनट की उलटी गिनती के बाद धु्रवीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-25 से मंगलयान का प्रक्षेपण दोपहर 2.38 बजे किया गया।
मंगलयान के प्रक्षेपण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन मंगलयान लांच करने वाली दुनिया की चौथी एजेंसी बन गया है। इसरो के प्रमुख के राधाकृष्णन ने इसके प्रक्षेपण के बाद बताया कि इससे भारत ने अपनी अंतरिक्ष क्षेत्र की तकनीकी क्षमता को साबित कर दी है। तीन सौ दिन की यात्रा पूरी कर 24 सितंबर 2014 को यान मंगल की कक्षा में पहुंचेगा।

कई स्टेशनों से रखी जाएगी नजर

इसरो अधिकारी ने बताया कि प्रक्षेपण के लगभग 43 मिनट बाद पीएसएलवी सी-25 मंगलयान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर देगा। यह पृथ्वी से निकटम 283 किलोमीटर और अधिकतम 23 हजार 500 किलोमीटर वाली कक्षा होगी।

बाद में उपग्रह के मार्ग में बदलाव कर उसे मंगल पर पहुंचा दिया जाएगा। इसमें इसरो के ब्यायालू स्थित डीप स्पेस कम्यूनिकेशंस फैसिलिटी (डीएसएन), कैलिफोर्निया गोल्डस्टोन स्थित अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा का जमीनी स्टेशन, मैंड्रिड (स्पेन) और कैनबरा (आस्ट्रेलिया) के जमीनी केंद्र से इसपर नजर रखा जाएगा। लगभग 300 दिनों का सफर तय मंगलयान सितम्बर 2014 में मंगल पर पहंुचेगा।

सब कुछ ठीक, सभी प्रक्रियाएं सामान्य

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अभी तक सबकुछ ठीक है और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड पर उलटी गिनती के दौरान चलने वाली सभी प्रक्रियाएं सामान्य रूप से चली। दरअसल, उलटी गिनती के दौरान चार चरणों वाले प्रक्षेपण यान पीएसएलवी के चौथे और दूसरे चरण में तरल प्रणोदक भरने का काम हुआ। मालूम हो कि गत 1 नवम्बर को प्रक्षेपण अनुमोदन बोर्ड (एलएबी) की बैठक हुई जिसमें बोर्ड ने प्रक्षेपण को हरी झंडी दे दी थी।


स्वदेसी तकनीक,सब कुछ ऑटोमैटिक

गौरतलब है कि लगभग 1340 किलोग्राम वजनी मंगलयान का निर्माण पूर्णत: स्वदेशी तकनीक से किया गया है। उपग्रह में ऎसी प्रणालियां है जिससे यान खुद निर्देशित होगा और अपनी गलतियां खुद सुधारेगा। इसमें नेविगेशन प्रणाली है यानी मार्ग भटकने पर वह खुद सही रास्ते पर आ भी जाएगा। चूंकि रॉकेट से अलग होने के बाद मंगलयान को लंबा सफर तय करना है इसलिए उसके साथ लांचर (लिक्विड मोटर) भी है। 

इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश है। मंगलयान में कुल पांच वैज्ञानिक उपकरण (पे-लोड) हैं जिनका कुल वजन सिर्फ 15 किलोग्राम है। इन उपकरणों के नाम हैं लाइमन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर फॉर मार्स, मार्सियन एक्सोफेरिक कम्पोजिशन एक्सप्लोरर, मार्स कलर कैमरा और टाईआर इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर। इन उपकरणों की मदद से इसरो मंगल पर जीवन की मौजूदगी का पता लगाने के लिए कई प्रयोगों को अंजाम देगा। 

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