रिफाइनरी पर याचिका खारिज 
जयपुर। हाईकोर्ट ने बाड़मेर में रिफाइनरी से रोजगार व आय के दावों को गलत ठहराने से इनकार कर दिया है। साथ ही, कहा कि अदालती प्रक्रिया का दुरूपयोग रोकने के लिए सुनवाई से पहले अमानत राशि जमा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

मुख्य न्यायाधीश अमिताभ रॉय व न्यायाधीश वी.एस. सिराधना की खण्डपीठ ने इस मामले में अजय जैन की जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करने से पहले रिफाइनरी को लेकर उसके दावों को गलत ठहराते हुए राज्य सरकार को अभ्यावेदन नहीं दिया और सूचना का आधार तथ्यहीन होने के साथ ही रिसर्च भी नहीं दिख रहा है।

रिफाइनरी पर सरकार के दावों से जनता को गुमराह करने की शिकायत पर सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता से पांच लाख रूपए जमा कराने को कहा था, लेकिन राशि जमा कराने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता स्वयं राज्य सरकार व एचपीसीएल के बीच एमओयू भी नेशनल कौंसिल ऑफ एप्लाईड रिसर्च के अध्ययन पर आधारित बता रहा है और पीआईएल भी हाईकोर्ट नियमों के हिसाब से नहीं है। इन तथ्यों का हवाला देकर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

यह कहा था पीआईएल में
याचिकाकर्ता ने कानपुर से आईआईटी की और उसने असम ऑयल कम्पनी ने नौकरी की। एमओयू के अनुसार बाड़मेर में एमएमटीपीए रिफाइनरी व पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स पर 37229 करोड़ रूपए की लागत आएगी, प्रोजेक्ट चार साल में लग जाएगा। राज्य सरकार इस परियोजना को 15 साल के लिए प्रतिवष्ाü 3736 करोड़ रूपए लोन देगी, इसे बिना ब्याज 15 साल में चुकाने की छूट होगी। सरकार इससे 47000 करोड़ रूपए की आय व सवा करोड़ लोगों को रोजगार का दावा कर रही है और इसके चालू होने पर 8.78 लाख करोड़ रूपए आय व 1.39 लाख लोगों को रोजगार मिलने के दावे किए जा रहे हैं। याचिका में कहा कि सरकार इस मामले में बढ़-चढ़कर प्रचार कर रही है, जिससे जनता गुमराह होगी। सरकार को इस बारे में विज्ञापन जारी करने से रोका जाए। 

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