बाड़मेर हनुमान मंदिर में तिजोरी से उपजा विवाद, मंदिर पर लगाया ताला 
बाड़मेर 
राजस्थान के बाड़मेर शहर में मंगलवार की शाम को हनुमान मंदिर पर ट्रस्ट व पुजारी के बीच चल रहे विवाद के चलते ताला जड़ दिया गया। माहौल गरमाने से दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए और मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास किया। देर रात तक विवाद के चलते हनुमान मंदिर के बाहर भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जमा रही। बाड़मेर शहर के बीचोबीच स्थित हनुमान मंदिर में ट्रस्टी और पुजारी के आपस में भिडऩे से बालाजी मंदिर पर ताला जड़ दिया गया। जिससे विवाद ने तूल पकड़ लिया और दोनों पक्षों के बीच आपसी नोकझोंक के साथ हाथापाई हो गई। सैकड़ों भक्तों की आस्था व विश्वास के हनुमान मंदिर पर ताला जडऩे से विवाद बढ़ गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों से समझाइश की, लेकिन देर रात तक मामला शांत नहीं हुआ था। इस बीच भक्तों ने रैली निकाली और एसपी को ज्ञापन भी सौंपा। 

तिजोरी को लेकर विवाद गर्माया 

दरअसल मंगलवार को मंदिर में ट्रस्ट की ओर से तिजोरी (दान पात्र) रखा गया। लेकिन पुजारी नहीं चाहता था कि मंदिर में दान पात्र रखा जाए। तिजोरी में किसी ने तेल भी डाल दिया। इस मामले के बाद पुजारी नाराज हो गया और मंदिर पर ताला जड़ दिया। इसके बाद तो मामला इतना बढ़ा कि पुजारी और ट्रस्टी के बीच हाथापाई हो गई। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को शांत करवाया। ट्रस्ट के लोग चाहते है कि मंदिर में तिजोरी लगे, लेकिन पुजारी चाहता है कि तिजोरी की बजाय चंदा पहले की तरह खुला ही रहे। वहीं पुजारी ने माहेश्वरी समाज के लोगों पर मारपीट का आरोप लगाया है। 

पुलिस ने भीड़ को खदेड़ा 
देर रात जब मौके पर जमा लोगों का आक्रोश बढ़ रहा था, तो तैनात पुलिस के जवानों ने हवा में लाठी मारते हुए भीड़ को खदेड़ दिया। इस दौरान एक बारगी माहौल अफरा-तफरी का हो गया। इसके बाद डिप्टी ओमप्रकाश गौतम, कोतवाल कैलाश चंद्र मीणा ने लोगों से समझाइश की और बुधवार को बैठक बुलाई। 

आस्था के साथ खिलवाड़ 
ट्रस्टी व पुजारी के बीच चल रहे विवाद का सामना उन भक्तों को भी करना पड़ा, जो सदियों से प्रतिदिन शाम के समय हनुमान मंदिर में प्रसादी चढ़ाने के साथ दर्शन के लिए आते हंै। जब मंगलवार शाम को भक्त मंदिर पहुंचे तो ताला जड़ा मिला। इस बीच कुछ देर तो इंतजार किया लेकिन मामले को तूल पकड़ते देख भक्तों ने बालाजी को खिड़की से ही प्रसादी चढ़ाई और चलते बने। 

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