आसाराम को झटका, सेविका को राहत 
अहमदाबाद। 
दुष्कर्म के मामले में आसाराम को कोई राहत नहीं मिल सकी है। गांधीनगर की जिला व सत्र अदालत ने बुधवार को आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी है। वहीं अदालत ने आसाराम की सेविका जसवंतीबेन चौधरी को अग्रिम जमानत दे दी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी टी सोनी ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में जांच फिलहाल अहम दौर में है। आसाराम के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।

अदालत ने देरी की दलीलों को नकारते हुए माना कि जोधपुर उच्च न्यायालय से आसाराम की जमानत याचिका खारिज होने के बाद पीडिता ने साहस दिखाकर आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इससे पहले अदालत ने गत सोमवार को आसाराम व अभियोजन पक्ष की ओर से दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

आसाराम ने गत दिनों जमानत की गुहार लगाई थी। आरोपी के वकील बी एम गुप्ता ने दलील दी थी कि यह मामला पूरी तरह से गलत है। ऎसी कोई घटना घटी नहीं। महिला ने यह शिकायत 12 वर्ष के बाद दर्ज कराई है।

उधर, अभियोजन पक्ष के वकील आर. सी. कोडेकर ने दलील दी थी कि इस मामले में जांच काफी अहम चरण में है, इस मामले में आरोपपत्र पेश किया जाना बाकी है इसलिए इन परिस्थितियों में आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

गौरतलब है कि गत छह अक्टूबर को सूरत की महिला ने आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। अहमदाबाद पुलिस आसाराम को गत 14 अक्टूबर को जोधपुर से ट्रांसफर वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया था। सात दिनों की रिमाण्ड में पूछताछ के बाद आसाराम को जोधपुर भेज दिया गया।

सेविका को मिली अग्रिम जमानत
गांधीनगर की जिला व सत्र अदालत ने आसाराम की सेविका जसवंतीबेन चौधरी को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने सशर्त जमानत प्रदान की। उस पर आसाराम के अपराध में मदद का आरोप है।

जसीबेन आसाराम के अहमदाबाद स्थित महिला आश्रम की चौकीदार रह चुकी है। अहमदाबाद की चांदखेड़ा पुलिस ने आसाराम व जसीबेन सहित आठ जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस तरह इस मामले में अदालत आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन सिंधी, पुत्री भारतीबेन सिंधी, तीन सेविकाओं निर्मला, बगलो, ध्रुवबेन सहित पांच आरोपियों को पहले ही अग्रिम जमानत प्रदान कर चुकी है।

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