सींखचों में रखकर भी करेगी "चांद" का दीदार 
जयपुर। 
वह सींखचों के भीतर होंगी, लेकिन करवाचौथ पर चांद का दीदार करेंगी। कुछ को दिन में पति परमेश्वर से मुलाकात का मौका भी मिलेगा। राजधानी के महिला सुधार गृह में विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदी मंगलवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी और बैरकों के भीतर से चंद्रमा के दर्शन कर व्रत तोड़ेंगी। 
जेल के भीतर महिलाओं के लिए विशेष्ा महत्व वाले पर्व को मनाने की तैयारी की गई है। इस समय कुल 216 बंदी व कैदी महिलाएं हैं। जेल प्रशासन की तैयारियों के मुताबिक 90 महिलाएं मंगलवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी। 

दिन में व्रत व पूजन की तैयारियों के बाद रात में बैरक की खिड़की से चंद्रमा के दर्शन व पति का फोटो देखकर व्रत खोलेंगी। बैरक में बुजुर्ग महिला पुरोहित की भूमिका भी निभाएंगी और व्रत कथा सुनाकर पर्व का महत्व बताएंगी। सोमवार को पूजन के मद्देनजर बैरकों में विशेष्ा तौर पर साफ-सफाई कराई गई। 

जेल में "परमेश्वर"

सुधार गृह में लगभग 50 महिला कैदियों के पति भी पुरूष्ा जेल में सजा काट रहे हैं। केंद्रीय कारागार और महिला सुधार गृह के प्रशासन ने इस खास पर्व पर दोनों को बिना बाहर निकाले ही दिन में मुलाकात की सुविधा के खास इंतजाम किए हैं। इसके लिए दोनों जेलों की संयुक्त दीवार के पास ही मुलाकात कक्ष बनाया गया है।

चंद्रोदय 8:25 बजे

महिलाएं अखंड सुहाग के प्रतीक करवा चौथ का व्रत मंगलवार को रखेंगी। सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की मंगल कामना के लिए चांद को अघ्र्य अर्पित कर व्रत खालेंगी। मंगलवार को चंद्रोदय जयपुर में रात्रि 8.25 बजे होगा। ज्योतिषाचार्य शशि प्रकाश के अनुसार करवा का अर्थ कमंडल है, जो ब्रह्मा के हाथ में होता है। यह संकल्प का प्रतीक है। चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा से दाम्पत्य जीवन में सुख शांति और सामंजस्य बना रहता है। 

महिला बंदियों को उनका उत्सव मनाने की छूट रहती है। बैरक में पति की फोटो रखने व दिन में पति व परिजनों से मुलाकात की छूट रहेगी। 
मोनिका अग्रवाल, डिप्टी सुप्रीटेंडेंट, महिला सुधार गृह

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