जिदंगी कैसी है पहेली... मन्ना डे का सफरनामा
बेंगलूरू।
फिल्म जगत के जाने-माने गायक मन्ना डे का गुरूवार तड़के कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरू में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 94 वर्षीय मन्ना डे को सांस लेने में तकलीफ और गुर्दे की बीमारी के बाद नारायण ह्वदयालय में भर्ती कराया गया था जहां आज तड़के तीन बजकर 45 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर सुनकर उषा उत्थप रो पड़ी। आखिरी वक्त में बेटी और दामाद उनके साथ थे। मन्ना डे का अंतिम संस्कार आवाज दोपहर में किया जाएगा।
असली नाम था प्रबोध चन्द्र
संगीत की आवाजों में से एक मन्ना डे का जन्म 1 मई 1919 को कोलकाता के एक बगाली परिवार में हुआ था। मन्ना डे का असली नाम प्रबोध चंद्र था। मन्ना डे के निधन की खबर सुनते ही बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई।
"तमन्ना" से जागी कुछ करने की तमन्ना
मामा संगीताचार्य कृष्ण चंद्र के प्रति अधिक लगाव होने के कारण मन्ना डे का रूझान संगीत की ओर हो गया। बतौर पाश्र्वगायक उन्होंने अपने करियर की शुरूआत फिल्म "तमन्ना" (1943) से की। इस फिल्म में सुरैया के साथ गाए हुए गाने खूब धमाल मचाया।
अकेले पेश की "मशाल"
पहली बार उन्होंने अकेले फिल्म "मशाल" (1950) में गाना गाया। गाने के बोल थे "ऊपर गगन विशाल...। इसे म्यूजिक दिया था सचिन देव वर्मन ने। मन्ना डे हिंदी फिल्मों में ही बल्कि मराठी व बांग्ला फिल्मों के लिए भी गीत गाए। यही नहीं गुजराती, मलयालम, कन्नड़ भाषा में गाने गाए।
लोकगीत से पॉप सॉन्ग को दी आवाज
मन्ना डे ने लोकगीत से लेकर पॉप तक हर तरह के गीत गाए। उन्होंने अपने देश में नहीं बल्कि विदेश में अपने संगीत का जादू फैलाया। उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति "मधुशाला" को भी आवाज दी।
दादा साहब फाल्के अवार्ड
मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1971 में पkश्री और 2005 में पk विभूषण से नवाजा गया था। साल 2007 में उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड प्रदान किया गया।
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