गहलोत की सोच जन भावना के विपरीत - सेतराऊ
बाड़मेर
मिषन नया बाड़मेर - जैसलमेर के संयोजक जितेन्द्र सिंह सेतराऊ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बयान दिया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर-जैसलमेर क्षैत्र का समग्र और संतुलित विकास नहीं चाहते इसलिए रिफाइनरी और रिफाइनरी से जुड़े उद्योंगों की स्थापना पचपदरा से जोधपुर की तरफ कर रहे हैं। मिशन पहले ही उन्हें इस तथ्य से अवगत करा चुका है कि पेट्रोकेमिकल हब बाड़मेर व बायतू के मध्य यदि नहीं लगाया गया तो बाड़मेर का विकास पूर्ण रूप से अवरूद्ध हो जायेगा। लेकिन गहलोत निजि स्वार्थ के कारण जन भावना को अनसुना कर रहे हैं। उनसे पुर्व मे मिषन ने यह मांग की थी कि बाड़मेर-जैसलमेर उच्च शिक्षा के क्षैत्र में काफी पिछड़ा हुआ है इसलिए बाड़मेर में पेट्रोलियम युनिवर्सिटी, मेडिकल काॅलेज व मल्टी फैकल्टी युनिवर्सिटी की स्थापना की जाये लेकिन लगता है कि कांॅंग्रेस सरकार बाड़मेर के युवाओं व आम आदमी को फायदा पहुंचाना नहीं चाहती। तथा मिशन ने यह भी मांग की थी कि बाड़मेर-जैसलमेर से जो राॅयल्टी राज्य सरकार को मिल रही है उसका 20 प्रतिशत बाड़मेर-जैसलमेर के समग्र विकास पर खर्च किया जाय। उस पर भी मुख्यमंत्री ने संवादहीनता दिखाते हुए कोई निर्णय नहीं किया। सेतराऊ ने कहा कि अशोक गहलोत केवल जोधपुर को फायदा पहंुचाना चाहते हैं। बाकी जिलों से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। आज भी बाड़मेर-जैसलमेर के कई क्षैत्रों में पीने योग्य पानी भी उपलब्ध नहीं है, बिजली नहीं है, स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है, शिक्षा न के बराबर है लेकिन गहलोत को केवल खुद के राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति की पड़ी है उन्हें जनभावनाओं से कोई सरोकार नहीं है। इसी का खामियाजा उन्हें विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा और उन जन प्रतिनिधियों को भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा जिन्होंने बाड़मेर-जैसलमेर से चुने जाने के बावजूद यहां के विकास की आवाज नहीं उठाई। मिशन मुख्यमंत्री से यह मांग करता है कि वह अपनी संकुचित विचारधारा से ऊपर उठकर बाड़मेर-जैसलमेर के समग्र विकास की बात पर गौर करें और अपना रूख स्पष्ट करें।

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