11 अक्टूबर तक जेल में रहेंगे आसाराम 
जोधपुर। 
नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में जेल की हवा खा रहे आसाराम बापू को राहत नहीं मिली है। सेशन कोर्ट ने आसाराम और उनके सेवादार शिवा उर्फ सवा को 11 अक्टूबर तक फिर जेल भेज दिया। 
उल्लेखनीय है कि आसाराम और सवा पिछले एक महीने से जेल में बंद हैं। सेशन कोर्ट के 30 सितम्बर तक जेल भेजने की न्यायिक हिरासत मियाद पूरी होने के बाद आसाराम को कोर्ट में पेश किया गया। आसाराम के वकील ने फिर कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई जिसे जज ने मौजूदा स्थितियों को देख नामंजूर कर दिया।

कोर्ट के बाहर समर्थकों का हंगामा
इससे पहले उनके समर्थक पुलिस से भिड़ गए। आसाराम के सेशन कोर्ट में आने से पहले ही उनके सैकड़ों समर्थक कोर्ट परिसर के पास बड़ी संख्या में इकटे हो गए। और कोर्ट के अंदर तक घुस गए। जब पुलिस ने समर्थकों को बाहर निकाला तो वह उग्र हो गए। इसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें वहां से खदेड़ा। इसमें कई लोग चोटिल भी हो गए। 


शिल्पी के बयान से बढ़ गई परेशानी
इस बीच आसाराम की परेशानी तब और बढ़ गई जब उनकी सहयोगी और उनके छिंदवाड़ा आश्रम की वॉर्डन शिल्पी ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया कि उसी ने आसाराम तक लड़की पहुंचाई। नाबालिग पीडिता ने आरोप लगाया था कि शिल्पी ने ही उसे जोधपुर आश्रम भेजकर आसाराम से मिलवाया था। बताया जाता है कि आसाराम के लिए लड़कियों को तैयार करने का काम शिल्पी ही देखती थी। 

जेठमलानी भी नहीं करा सके बेल
इससे पहले आसाराम को जमानत पर जेल से बाहर निकालने में जाने माने वकील राम जेठमलानी भी नाकाम रहे। जोधपुर हाईकोर्ट में अभियोजन पक्ष की बहस पूरी होने के बाद उन्होंने कुछ और साक्ष्य पेश करने के लिए अदालत से समय दिए जाने की गुहार के बाद इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 1 अक्टूबर तक टाल दी थी। कोर्ट में जमानत पर सुनवाई टल जाने के बाद आसाराम को 30 सितम्बर तक न्यायिक हिरासत बढ़ा दी थी।

क्या था मामला
जोधपुर के पास मणाई आश्रम में नाबालिग के साथ दुराचार का मामला गत 19 अगस्त को दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज हुआ था। प्राथमिकी को जोधपुर भेजने पर जांच के बाद 31 अगस्त की रात इंदौर में गिरफ्तार कर आसाराम को यहां लाया गया तथा एक दिन पुलिस रिमाण्ड के बाद दो सितम्बर को चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। बाद में हिरासत अवधि बढ़ाकर 30 सितम्बर कर दी गई। उसके सेवादार शिवा ने पुलिस के समक्ष 31 अगस्त को समर्पण कर दिया था। इस मामले में छिंदवाडा छात्रावास की वार्डन शिल्पी एवं गुरूकुल संचालक शरदचन्द्र भी सरेंडर कर चुके हैं।

शिल्पी की जुबां पर आया सच
छिंदवाड़ा गुरूकुल की वार्डन शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता ने रिमांड के दौरान पुलिस को बताया कि छात्रा से यौन दुराचार एक सोची-समझी साजिश थी। पीडिता को आसाराम के पास भेजने को मजबूर करने के लिए ही भूत-प्रेत का साया तथा बीमार होने की कहानी गढ़ी गई थी। ताकि इलाज के लिए परिजन छात्रा को लेकर आसाराम तक पहुंचे और वह अपने कुकृत्य में सफल हो सके। इसी साजिश के तहत उसने मोबाइल पर प्रकाश के जरिए आसाराम से लगातार बातचीत की थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार शिल्पी ने प्रकरण से जुड़े लगभग सभी बिन्दुओं की स्वीकारोक्ति की है। शिल्पी की चार दिन की रिमाण्ड अवधि समाप्त होने पर सोमवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। 

हरिद्वार में भी किया था प्रयास
शिल्पी ने पुलिस को बताया कि उसने गत जून में हरिद्वार में इसी छात्रा को आसाराम से मिलवाया था। उस दौरान भी आसाराम ने कथित छेड़छाड़ का प्रयास किया, लेकिन मकसद में सफल नहीं हो पाया।

...और भी पीडिता संभव
आसाराम के देशभर में कई जगह गुरूकुल हैं, लेकिन बालिका छात्रावास सिर्फ छिंदवाड़ा के खजूरी में ही है। यहां वर्तमान में 190 छात्राएं हैं। पुलिस को आशंका है कि आसाराम के दुराचार की शिकार और भी छात्राएं हो सकती हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है।

मेरठ से खाली हाथ लौटी पुलिस
शिल्पी से जांच में यह सामने आया था कि यूपी के मेरठ में आसाराम की शिकार एक और पीडिता है। आसाराम के खिलाफ और साक्ष्य जुटाने तथा जांच को मजबूत करने के लिए पुलिस टीम वहां गई, लेकिन सफलता नहीं मिली।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top