खाद्य सुरक्षा बिल लोकसभा में पास
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का सपना आखिरकार आधा पूरा हो गया। सोमवार रात तक 9 घंटे चली बहस के बाद खाद्य सुरक्षा बिल लोकसभा में पारित हो गया। अंत में कांग्रेस को शुरू से विरोध कर रही भाजपा का भी साथ मिल गया। द्रमुक और बीजद का विरोध धरा रह गया। विपक्ष के 300 संशोधन प्रस्ताव गिर गए। इनमें सुषमा स्वराज और मुरली मनोहर जोशी के प्रस्ताव भी शामिल हैं। अब इस बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिलनी बाकी है।
बिल खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने पेश किया। चर्चा की कमान खुद सोनिया गांधी ने संभाली। तबीयत नासाज होने के बावजूद उनके तेवर तीखे नजर आए। बिल की ऎतिहासिकता दोहराते हुए सोनिया ने अपील की, हमें विरोध दूर कर सहमति बनानी चाहिए। ताकि भारत की क्षमताओं के बारे में 'बड़ा संदेश' दिया जा सके। यह संदेश कि भारत अपने सभी नागरिकों को भोजन देने की जिम्मेदारी उठा सकता है। हम देश से भूख और कुपोषण हटा सकते हैं। याद दिलाया, 2009 में पार्टी ने जो वादा किया था, अब पूरा कर रही है। भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने इसे 'वोट सुरक्षा बिल' बताया। चुटकी भी ली -
जब आप आए थे,
बिल लाने वाले थे।
आप अब बिल लाने वाले हैं, तो आप जाने वाले हैं।
वहीं, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने भी इसे वोट पाने की जुगत वाला बिल करार दिया।
यह कह बढ़ीं सोनिया
विपक्ष का सवाल, खाद्य सुरक्षा लागू करने के संसाधन हैं भी या नहीं। सोनिया का जवाब था, नहीं हैं तो इंतजाम करने पड़ेंगे।
यह वक्त की जरूरत है, हमें इंतजाम करने ही होंगे।
पीडीएस में सुधार की जरूरत है। इसमें सुधार किया जाएगा, ताकि पात्रों तक लाभ पहुंच सके।
हमने सूचना, शिक्षा, काम, वन उत्पादन का अधिकार दिया, अब भोजन का अधिकार दे रहे हैं।
जोशी के सवालों पर अनुत्तरित सोनिया
बिल देश के गरीबों की जिंदगी कैसे बदलेगा?
सोनिया ने स्वीकारा, बिल कमजोर है, फिर भी पारित कराने पर जोर क्यों?
बिल के क्रियान्वयन के लिए पैसा कहां से आएगा?
बिल में भंडारण का वादा है, 10 सालों में नहीं दे पाए अब कैसे देंगे?
तब हम करेेगे संशोधन
यह बिल अधपका है, फिर भी हम इसका समर्थन करते हैं। हमें उस दिन का इंतजार है, जब हम सत्ता में लौटेंगे और बिल में संशोधन करने में समर्थ होंगे।
सुषमा स्वराज, नेता प्रतिपक्ष
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