प्रदेश में विधान परिषद बनने का रास्ता साफ 
नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान में विधान परिषद बनने का रास्ता साफ हो गया है। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में मंगलवार को इसके लिए बिल पेश किया। विधानसभा चुनाव में फायदे के लिए सरकार इस बिल को इसी सत्र में पास कराने की कोशिश करेगी।
राजस्थान विधान परिषद में कुल 66 सदस्य होंगे, जो विधानसभा की कुल संख्या का एक तिहाई होता है। परिषद के गठन पर 400 करोड़ रूपए के खर्च का अनुमान है। कैसे बनती है विधान परिषद : संविधान के अनु. 169 में संसद को किसी भी राज्य में विधान परिषद बनाने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए पहले राज्य विधानसभा से दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होना जरूरी है। राज्य विधानसभा ने इसके लिए 18 अप्रेल 2012 को प्रस्ताव पारित किया था। फिर इस साल अप्रेल में केन्द्र सरकार ने केबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। बिल पर कांग्रेस-भाजपा की सहमति होने से संभावना है कि इसे पास कराने में सरकार को मुश्किल नहीं आएगी।

राजस्थान 7 वां राज्य 
अब तक बिहार, आंध्रप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में विधान परिषद है। तमिलनाडु में इसके फिर से गठन का प्रस्ताव पड़ा है, जिस पर मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।

कटेंगे कई के टिकट!
विधान परिष्ाद को मंजूरी मिलती है तो यह कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए फायदेमंद है। विधान परिष्ाद में एडजस्ट करने के नाम पर ये पार्टियां काम नहीं करने वाले मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकेंगी। साथ ही उनको भी संतुष्ट कर सकेंगी जो टिकट नहीं मिलने पर परेशानी पैदा कर सकते हैं।

पिछले वर्ष हुआ पारित : विधान परिष्ाद के बारे में पिछली सरकार ने अपने आखिरी बजट भाष्ाण में घोष्ाणा की थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं। सरकार बदली तो मौजूदा सरकार ने दो साल पहले इस मामले को आगे बढ़ाया। विधानसभा ने पिछले वष्ाü अप्रेल में सर्वसम्मत संकल्प पारित किया।

जानिए विधान परिषद
परिषद स्थायी सदन होगा, सभापति और उप सभापति होंगे 
दस सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल करेंगे
अविश्वास प्रस्ताव पारित करने का अधिकार नहीं, मनी बिल रोकने का अधिकार नहीं
किसी बिल पर विरोध होने पर अंतिम फैसला विधानसभा का 
बिल पहली बार परिषद रोक सकती है, विधानसभा से दोबारा आने पर उसे पास करना जरूरी
दोनों सदनों के संयुक्त सत्र की व्यवस्था नहीं 
सदस्य कौन : राज्य की वोटर लिस्ट में नाम, उम्र तीस से कम नहीं हो, मानसिक स्वस्थ हो, सदस्यों का कार्यकाल 6 साल।
अभी इंतजार : विधान परिष्ाद बनने की प्रक्रिया इतनी लम्बी है कि मौजूदा सरकार में इसका गठन मुश्किल दिखता है।


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