सीमांध्र के 4 मंत्रियों, 41 विधायकों के इस्तीफे
हैदराबाद। आंध्रप्रदेश को विभाजित कर अलग तलंगाना राज्य के गठन की घोषणा पर कांग्रेस में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। आंध्र के तीन मंत्रियों व 26 कांग्रेसी विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इन मंत्रियों ने दिए इस्तीफे -
पोर्ट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डिपार्टमेंट के मंत्री जी श्रीनिवास राव, विघि मंत्री ई प्रताव रेड्डी, माइनर इरिगेशन मंत्री टीजी वेंकटेश व सहकारिता मंत्री के कृष्ण रेड्डी ने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को भेज दिए हैं। श्रीनिवास राव ने स्पष्ट किया कि इस बदले हुए घटनाक्रम में उनकी अंतरआत्मा उन्हें सरकार में बने रहने की इजाजत नहीं देती।
अपने इस्तीफे देने वाले 26 कांग्रेसी विधायकों में 19 विधायक हैं व सात विधान परिषद के सदस्य हैं। साथ ही तेजुगुदेशम पार्टी के 15 विधायकों व दो विधान परिषद सदस्यों ने भी अपने पद से इस्तीफे दिए हैं। अघिकांश ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष या विधान परिषद अध्यक्ष को फैक्स किए हैं। कुछ ने अपने इस्तीफे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बी सत्यनारायण को सौंपे हैं।
कांग्रेस नेतृत्व तेलंगाना के गठन को लेकर ऎसी प्रतिक्रिया से सन्न है। इस बीच 10 सांसदों व चार केंद्रीय मंत्रियों ने दिल्ली में बैठक कर शुक्रवार को इस्तीफा देने का निर्णय किया।
मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने कुछ मंत्रियों को इस्तीफा न देने के लिए मनाया। यह बैठक चार घंटे चली। सीएम ने विधायकों व सीमांध्र के सभी मंत्रियों की एक बैठक तीन अगस्त को बुलाई है। सीएम ने इन नेताओं को आश्वस्त किया है कि वे उनकी बात हाईकमान तक पहुंचाएंगे। तेलंगाना के गठन संबंधी घोषणा के बाद सीमांध्र के कई नेता इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन आंध्र के प्रभारी कांग्रेस महासिच दिग्विजय सिंह ने उन्हें समझाया। दिग्विजय ने इन नेताओं से कहा कि पार्टी उनकी समस्या हल करेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि तेलंगाना का निर्णय बदला नहीं जाएगा।
वहीं कई विधायक व मंत्री इस्तीफा नहीं देना चाहते थे। इनका मानना है कि इस्तीफा देने से सीमांध्र को लेकर उनकी लड़ाई विधानसभा तक नहीं पहुंच पाएगी। पहले आई खबरों में कहा गया था कि खुद मुख्यमंत्री इस फैसले के खिलाफ थे तथा वे भी अपना पद छोड़ना चाहते थे। हाईकमान ने उन्हें दिल्ली तलब किया और समझाया। वे हैदराबाद लौट आए।
अब दो दिन बाद उन पर विधायकों ने इस्तीफे देकर दबाव बना दिया है। गुरूवार को सीमांध्र से आने वाले सचिवालय कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। यहां काम-काज ठहर गया है। हजारों कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ेगा और सीमांध्र की राजधानी जाना पड़ेगा।
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