पेट्रोल के बाद अब लगेगी रेल भाड़े में आग
नई दिल्ली।
अभी तक तो सिर्फ रेल बजट के दौरान ही आम लोगों को किराया वृद्धि का झटका लगता था,लेकिन अब कभी भी रेल किराए का करंट आपको हिला सकता है। रेलवे के यात्री किराये एवं मालभाड़ा तय करने के लिए बहुचर्चित रेलवे टैरिफ प्राधिकरण के गठन के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल मंजूरी दे दी।
प्राधिकरण के माध्यम से रेलवे के इतिहास में पहली बार रेल किराये और मालभाड़ा बजट या राजनीतिक निर्णय के दायरे से बाहर लाए जाएंगे। संसद में रेलवे एक्ट 1989 में संशोधन करके अब इस अथॉरिटी के गठन की प्रक्रिया को जल्द ही पूरा किया जाएगा। प्रस्तावित प्राधिकरण को अमल करने पर फैसला मंत्रालय को लेना होगा।
नहीं होगा खारिज
प्राधिकरण के फैसले को मंत्रालय खारिज भी कर सकता है क्योंकि प्रस्तावित प्राधिकरण को अभी नियामक संस्था का अधिकार नहीं होगा। यह सिर्फ किराया एवं भाड़ा की दरों को तय करने पर सुझाव देगी। रेल टैरिफ प्राधिकरण का प्रस्ताव सबसे पहले रेल मंत्री के रूप में दिनेश त्रिवेदी ने 2012 में रेल बजट पेश करते समय रखा था। बाद में पवन कुमार बंसल ने भी 2013-14 के बजट में रेल टैरिफ अथॉरिटी के गठन का प्रस्ताव संसद में पेश किया।
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत प्रस्तावित रेल टैरिफ प्राधिकरण में अध्यक्ष सहित कुल पांच सदस्य होंगे। इन्हें हर साल यात्री ट्रेनों के किराया तथा मालभाड़े की दरों को तय करने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए प्राधिकरण विभिन्न पक्षों से विचार विमर्श करके नई दरों का प्रस्ताव तैयार करेगा।
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