शोध पर ज्यादा खर्च की जरूरत: प्रणब 
जयपुर। 
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शोध एवं विकास पर चीन,ब्रिटेन और इजरायल से काफी कम सकल घरेलु उत्पाद का 0.9 प्रतिशत खर्च करने पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा है कि बड़े पैमाने पर आविष्कार के लिए शोध पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत है। भारत को आविष्कार को मुख्य ध्येय बनाना चाहिए। 
मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के आठवें दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2010 से 2020 तक के दशक को हमने आविष्कार को समर्पित किया है। इस वर्ष विज्ञान,तकनीक और आविष्कार नीति बनाई गई है ताकि विकास को गति मिल सके। मुखर्जी ने कहा कि सही दिशा में शोध और विकास प्रक्रिया को अपनाने की जरूरत है।
मुखर्जी ने कहा कि भारत अपने सकल घरेलु उत्पाद का 0.9 प्रतिशत ही शोध एवं विकास प्रक्रिया पर खर्च करता है जो चीन. ब्रिटेन और इजरायल से काफी कम है। उन्होेंने कहा कि हमें बड़े पैमाने पर आविष्कार के लिए शोध पर ज्यादा खर्च बढ़ाने की जरूरत है। शोध और विकास पर निजी क्षेत्र के एक चौथाई योगदान को कम बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जापान,अमरीका एवं दक्षिण कोरिया के बराबर भारत के निजी क्षेत्र को भी अपना हिस्सा बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय तकनीकी संस्थान और शोध केन्द्र आविष्कार के लिए उत्तम स्थान है लेकिन प्रतिभा की कमी से इनका फल नहीं मिल रहा । हमारी कार्य प्रणाली में प्रतिभा को महत्व नहीं दिया जाता इसे रोकना होगा ताकि प्रतिभा का पलायन नहीं हो सके। इसी तरह विदेशों में शोध और अध्यापन के क्षेत्र में बड़े पदों पर बैठे लोगों को देश में आकर योगदान के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

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