फिर 3 माह के लिए लालबत्ती 

जयपुर।
चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए सरकार ने कई प्रमुख आयोगों और बोर्डो में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी। हालांकि चुनाव आचार संहिता लगने में मुश्किल से तीन माह बाकी है और सवाल यह उठता है कि आखिर तीन माह में ये नए अध्यक्ष क्या कर लेंगे? कार्यकाल के अंतिम दिनों में कांग्रेस अपनी पिछली सरकार में भी नियुक्तियां कर चुकी है। वहीं, भाजपा सरकार के समय नियुक्त किए कुछ अध्यक्ष तो महीना भर भी पदों पर नहीं रह पाए थे।
सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक नियुक्तियों का मामला काफी समय से लम्बित था। चूंकि शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष और प्रभारी महासचिव की बैठक में पिछले तीन माह की रिपोर्ट पेश होनी है, इसीलिए ये नियुक्तियां की गई हैं। 
संगठन के व्यक्ति को फिर मिला पद
एक तरफ प्रभारी महासचिव गुरूदास कामत एक व्यक्ति एक पद की बात कह रहे हैं। वहीं, इन नियुक्तियों में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष चिंरंजीलाल बडाया को गोसेवा आयोग में उपाध्यक्ष बनाया गया है।
नहीं होगा फायदा 
जानकारों की मानें तो चुनाव से ऎन पहले इन नियुक्तियों से कोई बड़ा राजनीतिक फायदा होने वाला नहीं है, क्योंकि इनमें से अधिकतर के साथ पहचान का संकट है। स्थानीय स्तर पर भले ही लोग जानते हों, लेकिन कई ऎसे नाम हैं, जिन्हें लेकर प्रदेश स्तर पर आश्चर्य जताया जा रहा है और माना जा रहा है कि इससे उलटा कार्यकर्ताओं में निराश आएगी। 

क्षेत्रीय असंतुलन और जातिगत संतुलन
बुधवार देर रात हुई इन नियुक्तियों में चुनाव के मद्देनजर जातिगत संतुलन का पूरा ध्यान रखा गया है, लेकिन क्षेत्रीय अंसुतलन दिख रहा है। इसमें जाट, राजपूत, ब्राह्मण, कुम्हार, माली, वैश्य व आदिवासी सभी शामिल हैं। लेकिन संभागवार देखें तो उदयपुर और जोधपुर के लोग ज्यादा हैं। इन दोनों संभाग से चार-चार लोगों को लालबत्ती मिली हैं। 

कौन-क्या और कहां से हैं
के.एल.मीणा पूर्व आईएएस हैं। अभी डेंटल कॉलेज चलाते हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में जेडीसी रह चुके हैं।
वीरेन्द्र पूनिया प्रदेश कांग्रेस सचिव रह चुके हैं।
पवन गोदारा हनुमानगढ़ से हैं। राजस्थान विवि छात्रसंघ महासचिव, यूथ कांग्रेस के पहले निर्वाचित अध्यक्ष रह चुके हैं। 
सोहन सिंह राजसमंद जिले के भीम से हैं और चुनाव लड़ चुके हैं। 
रतनलाल ताम्बी मंत्री रह चुके हैं। जहाजपुर से चुन कर आते रहे।
सुनील परिहार ये भी मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से हैं और उनके काफी नजदीकी माने जाते हैं। 
शांतिलाल निम्बा मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र सरदारपुरा से हैं। शहर कांग्रेस में पदाधिकारी बताए जाते हैं।
रमेश पण्ड्या बांसवाड़ा से विधायक रह चुके हैं। 
रेणु सिंह एनजीओ चलाती हैं। एक टीवी चैनल में एंकर हैं। कांग्रेस में कभी सक्रिय नहीं देखा गया।
दिनेश खोडनिया डूंगरपुर जिले से हैं। मुख्यमंत्री के काफी नजदीकी हैं। इन्हें राज्यसभा में भेजने की काफी कोशिश हुई थी।
पूनम गोयल कोटा से विधायक रह चुकी हैं। मंत्री शांति धारीवाल के विरोधी गुट में बताई जाती हैं। 
चिंरजीलाल बडाया जयपुर से हैं, प्रदेश कांग्रेस में कोषाध्यक्ष हैं। 
देवबाला राठौड़ बांसवाड़ा नगर परिषद में तीसरी बार पार्षद हैं। नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं।

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