बारिश से तबाही,अब तक 73 की मौत 

देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखण्ड सहित उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भारी बारिश और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 73 तक पहुंच गई है। मंगलवार को 11 और लोगों की मौत हो गई। करीब 71 हजार 443 तीर्थयात्री उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थलों पर फंसे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश में भी करीब 1700 लोग फंसे हुए हैं। 

उत्तराखण्ड में अब तक 40 मरे

बाढ़,भूस्खलन और बादल फटने के कारण उत्तराखण्ड में अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग घायल भी हुए हैं। पूरे राज्य में 175 घर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। रूद्रप्रयाग में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। यहां 20 लोगों की मौत हुई है। अलकनंदा नदी के किनारे स्थित 40 होटलों सहित 73 इमारतें बाढ़ से तबाह हुई है। गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर कम होने के बाद राहत और बचाव के काम ने तेजी पकड़ी है। 

71,440 तीर्थयात्री बीच में फंसे 

गंगोत्री,यमुनोत्री,बद्रीनाथ और केदरनाथ की यात्रा पर गए करीब 71 हजार 440 तीर्थ यात्री रूद्रप्रयाग,चमौली और उत्तरकाशी में फंसे हुए हैं। भूस्खलन के कारण चार धाम यात्रा अभी भी रूकी हुई है। आपदा प्रबंधन अधिकारियों के मुताबिक चमौली में सबसे ज्यादा 27,040 तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। रूद्रप्रयाग में 25 हजार और उत्तरकाशी में 9850 यात्री फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि उत्तरकाशी में भागीरथी,ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर कम हुआ है। 

60 घंटे बाद हिमाचल के सीएम को निकाला 

भूस्खलन के कारण हिमाचल के किन्नौर में पिछले 60 घंटे से फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को मंगलवार सुबह सुरक्षित निकाल लिया गया। अभी भी 1700 लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। मंगलवार सुबह जब बारिश रूकी और मौसम साफ हुआ तो कांग्रेस पार्टी की ओेर से हायर किया गया हेलीकॉप्टर मुख्यमंत्री को निकालकर ले गया। अधिकारियों ने बताया कि सरकारी हेलीकॉप्टर से करीब एक दर्जन बीमार और बुजुर्ग लोगों को भी रामपुर ले जाया गया है। 

दिल्ली में बाढ़ का खतरा

उधर दिल्ली के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने लोहे के पुल पर वाहनों की आवाजाही को रोक दिया है। साथ ही यमुना के किनारे रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। पिछले कुछ दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश और हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। 

जलस्तर खतरे के निशान 204.83 को पार कर गया है। आशंका जताई जा रही है कि अगर बारिश जारी रही तो निचले इलाके बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। मुख्य सचिव डीएम सपोलिया ने राजस्व विभाग को लोगों को निचले इलाके से निकालने और प्रशासन को संभावित आपदा के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। 
सपोलिया ने बताया कि सोमवार सुबह यमुनानगर के समीप हथिनी कुंड बैराज से 8.60 लाख क्यूसेक अतिरिक्त पानी यमुना में छोड़ा गया है। इतना पानी पिछले 100 सालों में कभी नहीं छोड़ा गया। इससे पहले सर्वाधिक 7.44 लाख क्यूसेक पानी 2010 में छोड़ा गया था।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top