टूट गई 17 साल पुरानी दोस्ती 

पटना। 
भाजपा और जदयू का 17 साल पुराना गठबंधन टूट गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को राज्यपाल डीवाई पाटिल से मुलाकात की। 

उन्होने राज्यपाल को भाजपा से गठबंधन टूटने की जानकारी दी। इसके बाद दोपहर 3 बजे अपने घर पर नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान भाजपा से गठबंधन तोड़ने की औपचारिक घोषणा की गई। 

शरद यादव ने एनडीए के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया है। नीतीश ने प्रेस कांफ्रेंस में गठबंधन टूटने का ठीकरा भाजपा पर फोड़ते हुए कहा कि हम उसूलों से समझौता नहीं कर सकते चाहे कोई भी परिणाम हो। 



कैसे जुटाएंगे बहुमत

राज्यपाल ने नीतीश को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा है। नीतीश कुमार ने 19 जून को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इस दौरान वह विश्वास मत हासिल करेंगे। 243 सदस्यीय विधानसभा में जदयू के 118,भाजपा के 91,राजद के 22,कांग्रेस के 4,लोजपा का एक,6 निर्दलीय विधायक हैं। 

बहुमत के जादुई आंकड़े के लिए 122 विधायक चाहिए। नीतीश की नजर 6 निर्दलीयों पर है। दो निर्दलीय विधायक पवन जायसवाल और सोमप्रकाश पहले ही नीतीश को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि विश्वास मत के दौरान कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य अनुपस्थित रह सकते हैं। 

मोदी सभी धर्मो को मंजूर नहीं 

राज्यपाल से मुलाकात से पहले दोपहर 12.30 बजे जदयू नेताओं की बैठक हुई। बैठक में जदयू अध्यक्ष शरद यादव भी मौजूद थे। यादव ने पार्टी सांसदों,विधायकों और मंत्रियों से गठबंधन को लेकर चर्चा की। चर्चा के बाद कड़े शब्दों वाला एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में भाजपा से गठबंधन टूटने की वजहें बताई गई है। 

प्रस्ताव में कहा गया है कि भाजपा ने एक ऎसे व्यक्ति (नरेन्द्र मोदी)को कमान सौंपी है जिसकी कार्यशैली से देश के सेक्युलर ढांचे को खतरा है। मोदी सभी धर्मो को स्वीकार नहीं है। जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के संकेत के बाद 
पार्टी का एनडीए में रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। 

कैबिनेट की बैठक में नहीं गए भाजपा के मंत्री

पार्टी की बैठक से पहले दोपहर 11.30 बजे नीतीश की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित भाजपा के कोटे के 11 मंत्री शामिल नहीं हुए। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मंगल पांडे ने कहा कि जब जदयू नेता अपनी सरकार बनाने के लिए अन्य विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं,ऎसे में बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता।

जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कैबिनेट की बैठक के बहिष्कार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। रंजन ने कहा कि भाजपा के मंत्री संवैधानिक जिम्मेदारी का उल्लंघन कर रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा के मंत्रियों ने अपने दफ्तर जाना बंद कर दिया और अपने सरकारी वाहन वापस कर दिए थे। जदयू सांसद शिवानंद तिवारी ने शनिवार को ही कह दिया था कि गठबंधन को लेकर हमने फैसला ले लिया है। सिर्फ औपचारिक घोषणा की जानी है।

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