भागवतकथा सुनने उमड़े हजारो श्रद्घालु, आज होगा समापन 

बाड़मेर। 
स्थानीय जटिया समाज के हनुमान मंदिर में जटिया समाज व महिला मण्डल द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन अनन्त विभूषित संत रामविचार महाराज ने श्रीकृष्ण भगवान की बाल लीला से कथा का प्रारम्भ करते हुए रासलीला के बारे में विस्तार से बताते हुए रास लीला का आनंद लेते हुए कहा कि जब शिवलोक में भगवान महादेव को वृन्दावन में श्रीकृष्ण व गोपियों द्वारा रासलीला के बारे में पता चला तो महादेव ने अपनी समाधि त्यागते हुए पार्वती को कहा कि उन्हे भी साथ लेकर जायें, परन्तु माता पार्वती ने उनको साथ ले जाने से मना कर दिया। तब महादेव ने श्रृगार करके स्त्री रूप धारण कर, पार्वती के साथ बृज में रास के लिए चलें। और रासलीला में रास का आनंद लिया जहां भगवान श्रीकृष्ण ने महादेव की चोरी को पकड़ लिया, और कहा कि प्रभु आप स्त्री रूप में कैसे? तब भगवान महादेव ने कहा कि मैं तो आपकी रास लीला का आनंद लेने के लिए आया था। मैं इस रासलीला से वंचित नही रहना चाहता था, इसलिए मैने स्त्री रूप धारण किया। उसके बाद भगवान शिव और पार्वती ने भगवान को प्रणाम कर अपनेअपने धाम को पधारें। 
इस दौरान संत रामविचार महाराज ने बताया कि मथुरा से कंस ने अक्रुर को बृज में कृष्ण को लाने के लिए बहाना बनाकर भेजा कि धनुष यज्ञ के अन्तर्गत कृष्ण को मारने के लिए मथुरा बुलाया गया हैं। अक्रुर ब्रज आऐ और कृष्ण को लेकर मथुरा गयें। बृज में गोपिया व यशोदा मैया बड़ी दुःखी हुई और वापिस कृष्ण को मथुरा से जल्दी आने के लिए कहा। तो फिर कृष्ण ने मथुरा में जाकर गजराज का वध किया। अपने मामा कंश का उद्घार किया। वासुदेव व देवकी को कारागृह से मुक्त करवाकर मथुरा का राजा बनाया। उद्धव को बृज में गोपियो को समझाने के लिए भेजा गया। गोपियो ने उद्धव के ज्ञान के अहंकार को नष्ट करतें हुए प्रेम भक्ति की ओर प्रेरित किया। इस दौरान उद्धव मथुरा गये मथुरा में जाकर यशोदा व गोपियो के विरह के बारे में कृष्ण को बताया। कथा के दौरान महाराज रामविचार ने रूकम प्रदेश के राजा रूक्मी की बहन रूखमणि ने ब्रहामण के द्वारा प्रेम पत्र श्रीकृष्ण के पास भिजवाया। और सादी का प्रस्ताव भिजवाया। कृष्ण अपने सखा के साथ रूकम प्रदेश पधारे और रूकमणि का भगवती, जगदम्बा, पूजा के दौरान मां का पुष्प के द्वारा आशीर्वाद स्वरूप कृष्ण के विवाह का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण ने रूखमणि का अपहरण करके बृज की ओर प्रस्थान किया। राजा रूकम ने बलदाऊ के साथ युद्ध हुआ, तथा उसके बाद में राजा रूकम ने रूकमणि व श्रीकृष्ण का विवाह करवाया। इस अवसर पर जटिया समाज के अध्यक्ष मोहन गोसाईवाल, मेघवाल समाज के अध्यक्ष केवलचंद बृजवाल, किशोर भार्गव, जटिया समाज के महामंत्री भेरूसिंह फुलवारिया, रैगर समाज के जिलाध्यक्ष मोहन कुर्डिया, पूर्व पार्षद छगनलाल जाटोल, कोषाध्यक्ष ईश्वरचंद नवल, फूलाराम खन्ना, जगदीश खत्री, पूर्व पार्षद राजेश्वरी खत्री, प्रेम कुमार, पुखराज गुप्ता, भगवानदास आसवानी, जटिया समाज के पूर्व अध्यक्ष शिवदान तिगोया, सोनाराम खोरवाल, गुलाबचंद मुण्डोतिया, सुरेश जाटोल, प्रेमानंद फुलवारिया, किशन वडेरा, लक्ष्मण कुर्डिया, अमृतलाल जाटोल, ओमप्रकाश सिघांड़िया, रामी देवी खोरवाल, सीता देवी, कमला देवी, सुन्दरी देवी, भीखी देवी, श्यामलाल सुवांसिया, नरसिंग नवल सहित कई भक्तगण उपस्थित थें। 
आज होगा यज्ञ पण्डित गजेन्द्र शास्त्री पुष्कर ने बताया कि कथा के अंत में प्रातः 9 बजें से हवन व पूजा करवाई जायेगी। तत्पश्चात महाराज के द्वारा कथा का रसा आस्वादन करवाया जायेगा। उसके बाद पुर्णाहुति एवं आरती का आयोजन के साथ कथा का समापन होगा।

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