रिफायनरी लगने में हो सकती है देरी! बाड़मेर।
राजस्थान के बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी के लिए भूमि अवाप्ति होने के आसार किसानो और प्रशासन के बीच के गतिरोध के कारण कम ही नज़र आ रहे हैं। गुरूवार की रोज हुई वार्ता में किसान अपनी मागो को लेकर अड़े रहे और सरकार जब तक पुनर्वास निति नहीं लागु कर दे तब तक हम किसान भूमि अवाप्त नहीं होने देगे बाड़मेर के लीलाला में राजस्थान के इतिहास के अब तक सबसे बड़े प्रोजेक्ट करीब चालीस हजार करोड़ रुपये से बनने वाली रिफायनरी अब शरू होने में देरी हो सकती है क्योकि आज बाड़मेर में किसान कमेटी ने खुला फरमान जारी कर दिया कि जब तक सरकार उनकी मागे नहीं मानेगी तब तक वो किसी को भी उस जमीन पर पाँव रखने भी नहीं देंगे।
राजस्थान में लम्बे समय से रिफायनरी के लिए जमीन अवाप्ति की परेशानी चल रही हैं। किसान धरने और प्रदर्शन के जरिये सरकार पर उनकी मांगे माने जाने का दबाव बनाने में लगे हैं और सरकार चिंता में हैं कि कैसे आचार संहिता लगने से पहले रिफायनरी का शिलान्यास करवाए। गुरूवार को लीलाला के किसान संघर्ष समिति के साथ बाड़मेर जिला कलेक्ट्रट में सरकार की और से संभागीय आयुक्त हेमंत गैरा ने किसानो से जो बातचीत की वो बेनतीजा निकली दरअसल सूबे के मुखिया अशोक गहलोत और उनकी सरकार रिफायनरी के नाम पर इस साल होने वाले विधानसभा चुनावो में वोट बटोरना चाहती है इस लिहाज से इस प्रोजक्ट का देरी से शरू होना कांग्रेस के लिए आने वाले दिनों मुश्किलें खड़ी कर सकता है। दूसरी तरफ जिला प्रशासन पर भी इस बात का दबाव हैं कि किसानो को कैसे भी कर भूमि अवाप्ति के लिए संतुष्ट किया जाए। गुरूवार को जिला कलेक्टर कार्यालय में दो चरणों में हुई बैठक का क्कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद किसानो में सरकार के खिलाफ आक्रोश भी बढ़ता जा रहा हैं। बाड़मेर के लीलाला में किसानो का धरना पदर्शन भी लगातार कई महीनो से चल रहा हैं और सरकार के लिए ये धरना किसी भी मुसीबत से कम नहीं हैं। ऐसे हालातो में सरकार के लिए परेशानिया सामने आ सकती हैं। सबसे गम्भीर मुद्दा सरकार के लिए यह खड़ा हो हैं कि जोधपुर सम्भाग के सम्भागीय आयुक्त हेमंत गेरा ने भी इन ग्रामीणों के प्रतिनिधियों से बातचीत की लेकिन इसका कोई भी असर ग्रामीणों पर नहीं हो रहा हैं। ग्रामीण अपनी मांगो को लेकर अड़े हुए हैं कि जब तक उनकी मांगे नही मानी जाती हैं तब तक कोई भी समझौता नही होगा और तो और कम्पनी और सरकार के प्रतिनिधियों का प्रवेश प्रस्तावित रिफायनरी की जमीन में नहीं होने दिया जाएगा। किसान संघर्ष समिति के बालाराम मूढ़ ने कड़ी चेतावनी हैं कि सरकार उनकी मांगो को मान ले अन्यथा रिफायनरी की उम्मीदों को छोड़ दे।
रिफायनरी की अटकलों के बाद अब एक तरफ जिला प्रशासन के हाथ पाँव फूले हुए हैं। तो दूसरी तरफ किसानो का अड़ियल रवैया राज्य सरकार के रिफायनरी के आचार संहिता से पूर्व के शिलान्यास के सपने को खटाई में डाल रहा हैं। ऐसे में देखना यह हैं कि सम्भागीय आयुक्त स्तर की वार्ता विफल रहने के बाद किसानो को कैसे सरकार समझाती हैं।

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