स्पिक मेके की थिएटर वर्कशॉप का आगाज़
बाड़मेर( 11अप्रैल )
थिएटर मायने ज़िंदगी | और ज़िंदगी से बड़ा कोई थिएटर नहीं होता | रंग कार्यशाला हमें जीवन को और बेहतर ढंग से समझने का अवसर मुहैया कराती है ,ताकि हम खुद बेहतर कल के लिए तराश सकें | यह उदगार राज्य स्तरीय युवा सम्मान प्राप्त रंगकर्मी राजेन्द्र पांचाल ने स्पिक मेके की थिएटर वर्कशॉप के आगाज़ के अवसर पर व्यक्त किये | द मॉडर्न स्कूल में आयोजित इस वर्कशॉप में दो अलग अलग समूहों के 55 बच्चे हिस्सा ले रहे हैं |पंचाल ने बताया कि कैसे हमारी मनः स्थिति ,सजगता ,समझदारी और सूझ बूझ हमारी आंगिक ,वाचिक चेष्टाओं से झलकती है | इस मायने में यह वर्कशॉप सम्पूर्णता के साथ वर्तमान में रहना सिखाती है |
पंचाल ने दो हज़ार साल पहले लिखे गए भरत मुनि द्वारा लिखे ग्रन्थ नाट्यशास्त्र का ज़िक्र करते हुए बताया असल में थियेटर जीवन और जगत को अपनी तरह से पढना और समझना सिखाती है | इस अवसर बच्चों ने अनेक खेलों के माध्यम से खुद को समझना सीखा | स्कूल प्रिंसिपल श्रीमती नवनीत पचौरी ने कहा ऐसी कार्यशालाएं हममें ऐसी क्षमता और समझ विकसित करतीं हैं जो हमारे जीवन भर की पूंजी बन जाती है |स्पिक मेके सचिव इंद्र प्रकाश पुरोहित ने बताया ७ दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला के बाद यह बच्चे अपनी प्रस्तुति भी देंगे | पुरोहित ने कहा स्पिक मेके एक ऐसे सांस्कृतिक आन्दोलन को आगे बढ़ा रही है जिसके परिणाम आने वाले वक़्त में दिखाई देंगे |
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