अफजल को फांसी  
नई दिल्ली। 
मुंबई आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब की तर्ज पर ही अफजल गुरू को भी बेहद गुप्त तरीके से फांसी पर लटकाया गया। सूत्रों के अनुसार तिहाड़ जेल के चुनिंदा सीनियर अघिकारियों को ही इसकी जानकारी थी,लेकिन अन्य कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। गोपनीयता बनाए रखने के लिए अघिकारियों के मोबाइल फोन बंद थे।
afzal guru hanged in tiharतीन दिन से अकेला था अफजल
सूत्रों के अनुसार अफजल गुरू को तिहाड़ जेल नम्बर तीन के फांसी घर में अकेला रखा हुआ था। वहां से अन्य कैदियों को तीन दिन पहले ही निकाल लिया गया था। शनिवार को फांसी से पहले पूर्वाभ्यास (डेमो) भी किया गया था।
12 बजे कोर टीम का गठन
सूत्रों के मुताबिक अफजल को फांसी दिए जाने के लिए शुक्रवार रात 12 बजे ही कोर टीम का गठन हो गया था। तिहाड़ जेल के डीजी को रात 12 बजे अफजल को फांसी दिए जाने की जानकारी दी गई। रात को ही अफजल को दूसरी बैरक में शिफ्ट किया गया। सुबह पांच बजे उसे फांसी दिए जाने की जानकारी दी गई। सुबह 7 बजे फांसी की प्रक्रिया शुरू हुई। 
सुबह 8 बजे फांसी पर लटकाया
सुबह 8 बजे बैरक नंबर 3 में उसे फांसी दी गई। सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि अफजल को फांसी दिए जाने की जानकारी उसके परिजनों को नहीं दी गई थी। गृह सचिव आरके सिंह ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अफजल गुरू को शनिवार सुबह 8 बजे फांसी दी गई। 
10 लोगों की मौजूदगी में फांसी
जानकारी के अनुसार बैरक नम्बर तीन में जब अफजल को फांसी दी गई तब वहां 10 लोग मौजूद थे। इनमें जेल के डीआईजी(जेल),जेल अधीक्षक,उप अधीक्षक,एक मजिस्ट्रेट और एक डॉक्टर के साथ एक मौलवी भी मौजूद थे।
आखिरी इच्छा में कुरान मांगी
सूत्रों के अनुसार अफजल को फांसी की सजा दिए जाने से पूर्व अंतिम इच्छा पूछी गई तो उसने कुरान की किताब मांगी थी,जो उसे उपलब्ध करा दी गई। बताया जा रहा है कि अफजल के पास पहले से भी एक कुरान थी।

गृहमंत्रालय ने बनाया था प्लान
जानकारी के अनुसार कसाब को फांसी में बरती गई गोपनीयता की तर्ज पर गृहमंत्रालय ने अफजल गुरू की फांसी का प्लान तैयार किया था। इसमें जेल के डीआईजी और आईजी के अलावा किसी को इसमें शामिल नहीं किया गया। दिल्ली पुलिस के कुछ अघिकारी ही इससे वाकिफ थे।

मुखर्जी ने ठुकराई थी क्षमा याचिका
जम्मू कश्मीर के बारामूला जिले का निवासी अफजल 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले के लिए दोषी पाया गया था। हमले के आरोप सिद्ध होने पर उच्चतम न्यायालय ने 2004 में उसे फांसी की सजा सुनायी थी। संसद हमले में सात लोग मारे गये थे जिनमें एक महिला सिपाही भी शामिल थी। अफजल गरू ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को दया याचिका भेजी थी जो काफी समय तक लंबित रही लेकिन इसके बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उसकी दया याचिका ठुकरा दी और उसे गृह मंत्रालय के पास भेज दिया।

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