इलाहाबाद के स्टेशन पर भगदड़,36 की मौत 
इलाहाबाद। 
मौनी अमावस्या के दिन रविवार शाम इलाहाबाद के रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से 36 लोगों की मौत हो गई जबकि 30 से ज्यादा घायल हो गए। मरने वालों में बुर्जुग,महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं। 20 शवों की पहचान हो गई है जबकि 16 की पहचान नहीं हो पाई है। विभिन्न अस्पतालों में भर्ती घायलों की हालत गंभीर है। इस कारण मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। 
बताया जा रहा है कि हादसा फ्लेटफॉर्म 6 पर बने फुट ओवर ब्रिज की रेलिंग टूटने के कारण हुआ है। हालांकि रेल मंत्रालय ने इससे इनकार किया है। चश्मदीदों के मुताबिक पुलिस के लाठीचार्ज के कारण हादसा हुआ। उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे की जांच का आदेश दे दिया है। 

हादसे की जांच का आदेश
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटना पर गहरा दुख जताया है। अखिलेश ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे की वजह जानने के लिए आईएएस जगन मैथ्यूज के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है। पीएमओ ने मृतकों के घर वालों को पांच-पांच लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है। यूपी सरकार ने भी मृतकों के परिजनों को 5 लाख और घायलों को एक लाख रूपए का मुआवजा देने का ऎलान किया है। 

लाठीचार्ज की वजह से हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्लैटफॉर्म पर रविवार दोपहर बाद से ही काफी भीड़ थी। श्रद्धालु अपने घरों को लौटने के लिए रेलवे स्टेशन पर जमा होना शुरू हो गए थे। हादसे से थोड़ी ही देर पहले पटना की स्पेशल ट्रेन पर सवार होने के लिए अचानक बाहर से भीड़ का एक रेला आया। रेलवे पुलिस कर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियां भांजी तो भगदड़ मच गई। भगदड़ में कई लोग गिर पड़े। पीछे से आई भीड़ उन्हें रौंदते हुए भागी। 
एक श्रद्धालु ने बताया कि पुल से यात्री जा भी रहे थे और आ भी रहे थे इसलिए पुल पर दबाव बढ़ा और रेलिंग टूट गई। हादसे के बाद घायलों और मरने वालों के परिवार वाले बचाव के लिए गुहार लगा रहे थे, मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। दो घंटे बाद रेलवे पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्यों की मदद से घायलों को बाहर निकाला गया और रेलवे अस्पताल लाया गया। बाद में इन सभी को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हादसे के करीब दो घंटे बाद अधिकारी पहुंचे और उसके बाद ही राहत कार्य शुरू हो सका। कई जख्मी लोग प्लैटफॉर्म पर पर तड़पते रहे लेकिन उन्हें अस्पताल पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं था। देर से राहत कार्य शुरू होने से मृतकों की संख्या बढ़ गई।

क्यों नहीं किए इंतजाम
रेलवे स्टेशन पर भगदड़ क्यों मची? इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ? हादसे का जिम्मेदार कौन है? ये सारे सवाल जांच का विषय भले हो लेकिन हादसे के बाद रेलवे स्टेशन पर शासन और प्रशासन की लापरवाही रही। हादसे के ढाई घंटे बाद तक ना तो शव हटाए जा सके और ना ही घायलों को कोई मदद मिल पाई। बदइंतजामी का आलम ये था कि हादसे के बावजूद लोग शवों और घायलों को लांघकर सीढियां चढ़ रहे थे। जब प्रशासन को पहले से पता था कि मौनी अमावस्या के दिन कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए करीब साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग सकता है,ऎसे में पूरे इंतजाम क्यों नहीं किए गए? 

केन्द्र और राज्य में आरोप प्रत्यारोप शुरू
हादसे की वजह को लेकर केन्द्र और प्रदेश सरकार एक-दूसरे को जिम्मेदार बताती रही। जहां रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने रेलिंग टूटने की घटना से इनकार किया वहीं समाजवादी पार्टी के महासचिव राम आसरे कुशवाहा इसे रेलवे की चूक बता रहे हैं। सपा नेता रेवती रमण सिंह ने कहा कि रेलवे ने बेहतर व्यवस्था की होती तो यह हादसा न होता। ट्रेनों की संख्या और अधिक होनी चाहिए थी। कुंभ के मंत्री आजम खान का कहना है घटना की वजह जांच के बाद ही पता चलेगी।

स्नान के दौरान चार लोगों की मौत
रविवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर दूसरे शाही के दौरान 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। भीड़ के चलते रविवार दोपहर को 4 लोगों की मौत हो गई,हालांकि प्रशासन ने एक की ही पुष्टि की है। आयुक्त देवेश चतुर्वेदी और पुलिस आईजी आलोक शर्मा ने बताया कि उन्हें एक व्यक्ति की मौत की खबर मिली है। उसके कारणों की जांच कराई जा रही है।

सेक्टर 12 में दोपहर एक बजे भीड़ के दबाव में अफरा तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान एक वृद्ध की मौत हो गई। इनकी शिनाख्त गोविंद राय (62) के रूप में हुई है। वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के रहने वाले थे। पत्नी माया राय ने बताया कि वह भीड़ में कुचल गए। इसी सेक्टर में तेलूराम (55)का भी शव पाया गया। वह हरियाणा के करनाल जिले के बिजपुर गांव के थे। बाद में एक अज्ञात वृद्ध महिला का भी शव पाया गया।

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