राज्य सरकार ने राज्य को पहुंचाया विनाश के कगार पर डॉ. मृदुरेखा चौधरी 

बाड़मेर 
राज्य का वितीय प्रबंधन पूर्णतः निष्फल हो चुका है। खजाना खाली का राग बन्द काना अब मजबूरी है। क्योंकि कड़ी से कड़ी जुड़ी होने से इस जुमले से राज्य सरकार अवश्य बच रही है। लेकिन राज्य सरकार आमजन पर प्रत्यक्ष व परोक्ष कर उपकर लगाकर करो का बोझ आमजन पर लादे जा रहे हैं । कर्जा लेकर राज्य को बीमारू राज्य बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बडे.बड़े होर्डिग लगाकर पैसों को पानी की तरह बहाया जा रहा है, जिससे कि बड़े आला नेता खुश हो सकें। 

जबकि वसुन्धरा राजे की सरकार की वितीय प्रबंधन की रिजर्व बैंक व योजना आयोग ने हमेशा तारीफ की थी। 2007 में रिसजैट राजस्थान सम्मेलन कर प्रवासियों से 1.60 लाख करोड़ का निवेश कराया था लेकिन कांग्रेस सरकार कोई बड़ा निवेश नहीं करा पायी। 
बाड़मेर से मिलने वाले क्रूड ऑयल से 4680 करोड़ से अधिक की आय हो रही है। यदि गोवा सरकार की तरह यहां से वैट दें, तो आम लोगों को राहत मिल सकती हैं लेनिक सरकार की नीयत साफ नहीं हैं। खनन एवं परिवहन ठेकेदारों पर करोड़ों बकाया पड़ा हैं मिली भगत से वसुली नहीं की जा रही है वही दूसरी तरफ अभी तक राज्य पर 1,20,000 करोड़़ का कर्जा हो चुका है। 
थार में रिफायनरी की सौगात देने का लुभावना सब्जबाग तो राज्य सरकार दिखा रही है, लेकिन पसालौ में मात्र सब्जबाग के अतिरक्त कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। विद्युत के क्षेत्र में सरकार फिसडी साबित हो चुकी है मानो अधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। गांवों और कस्बों में विद्युत आपूर्ति 23 घंटे ही बड़ी मुश्किल से हो पा रही है। कोयले व तकनीक का अभाव का बहाना बनाकर कई इकाईयों को बंद कर रखा है। मिली भगत से अन्य राज्यों से ऊंचे दामों पर बिजली खरीदी जा रही है बिजली आपूर्ति कम्पनियों पर निर्धारित कर रखी है, जिससे दिनो दिन विद्युत दरों मे वृद्धि हो रही है। 
वसुन्धरा सरकार में 24 घंटे बिजली सब जगहजगह उपलब्ध थी, जबकि कांग्रेस सरकार में 2 से 4 घंटे ही उपलब्ध हो रही है। जो जनता को गुमराह करने के लिए अंतिम दिनों में विद्युत आपूर्ति जरूर ब जायेगी। 
किसानों को बिजली नहीं मिलने से मंहगें डीजल से कृषि कार्य करना पड़ रहा है। कनेक्शन के लिए फाईले जमा है, लेकिन विद्युत कनेक्शन नहीं दिये जा रहे है। 
समस्त खाद्य सामग्री के दाम 2 से 4 गुणा ब चुके है, मंहगाई की मार से आम आदमी त्रस्त है। मुद्रास्फीति की दर 5 प्रतिशत से बकर 17 प्रतिशत तक हो चुकी है। सोनेचांदी की बात छोड़िये, सीमेन्ट और लोहे क दाम 2 गुने हो चुके हैें, जैसे सिलेन्डरों की कीमत दुगनी से अधिक और उस पर भी 6 सिलेन्डरों की बाध्यता नागरिकों को किस दिशा में ले जायेगी। 
पिश्चमी राजस्थान की गरीब हटाओं परियोजना के लिए निर्धारित राशि 24 करोड़ थी, जो कि सरकार ने मात्र 6 करोड़ रूपये ही व्यय किये। 
नरेगा योजना अन्तर्गत जहां भाजपा शासन काल में मजदूरी की राशि 4271 करोड़ रू थी वहीं काग्रेंस शासनकाल में 2012 तक यह राशि मात्र 1505 करोड़ रू ही रही। 
भाजपा शासनकाल में 100 दिवस पूरे करने वाले परिवारों की संख्या 25,94,224 थी वहीं कांग्रेस सरकार के 5 दिसं. 2012 तक इन परिवारों की संख्या मात्र 1,03,820 परिवार ही थे। भ्रष्टाचार का बोल बाला है। कानूनी व्यवस्था पूर्णतः चौपट हो चुकी है मंत्रियों तक की गाड़ियां चोरी हो रही है तो आम जन की क्या स्थिति होगी। अत्याचारों में राज्य दिल्ली के मुकाबले में आ चुका है। अस्पतालों में मुफ्त में दवाईयों मात्र नारा बन कर रह गया है। हाईकार्ट की बारबार फटकार के बाद भी राज्य सरकार मंत्रियों के जमीनों के घोटालों, अनाज पिसाई, ट्रको वसूली घोटालों, सफोर्डेबल हाऊस पॉलिसी मे घोटालों 108 एम्बूलेंस में घोटाले, तबादलों में भ्रष्टाचार फर्जी पेंशन प्रकरण में घोटालों , ना जाने कितने घोटालों में लिप्त राज्य सरकार से आमजन त्रस्त है। 

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