गहलोत-सीपी आमने-सामने ! 
जयपुर। 
दो शहरों के बीच दूरी कम करने वाले हाइवे ने ही राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी के बीच दूरियां बढ़ा दी हैं। जयपुर-दिल्ली के बीच चौड़े हो रहे नेशनल हाइवे को लेकर पनपे इस विवाद की चर्चाएं इन दिनों राजनीति के गलियारों में जोरों पर है। वहीं प्रदेश में अगले माह होने वाले राष्ट्रीय चिंतन शिविर में भी इसका प्रभाव पड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं।सूत्रों के अनुसार इस हाइवे के काम को गहलोत अपने कार्यकाल में ही पूरा करवाना चाहते हैं, लेकिन यह कछुआ चाल से चल रहा है। इससे नाराज गहलोत ने भूतल परिवहन मंत्री सीपी जोशी को पिछले माह एक पत्र लिखकर मंत्रालय की ओर से देरी किए जाने की बात कही थी। गहलोत का पत्र मिलने के बाद मंत्रालय ने राज्य सरकार को ही हाइवे की देरी के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है। मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से हाइवे को चौड़ा करने के लिए विभिन्न स्थानाें पर जमीन अवाप्त नहीं की गई है। मुख्य रूप से शाहपुरा, पावटा, कोटपूतली और बहरोड़ में हाइवे को चौड़ा करने के लिए जमीन को अवाप्त करने में नाकामी सामने आई है। इसके चलते हाइवे को चौड़ा करने का काम निर्घारित समय में पूरा नहीं हो पा रहा है।इधर, विभागीय अधिकारी के अनुसार मंत्रालय और राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग ने मिलकर इस पर काम करने का निर्णय किया था। लेकिन मंत्रालय की ओर से चल रही देरी के चलते फिलहाल मामला खटाई में है। 
नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मामले में हाइवे अथॉरिटी ने संजय वन में जमीन के लिए वन विभाग को एक करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान किया है। मंत्रालय और राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों के बीच पिछले दिनों एक बैठक के बाद इन मसलों पर चर्चा भी हुई है।

यहां आ रही है दिक्कतें

हाइवे अथॉरिटी को कोटपूतली और बहरोड में स्थानीय नेताओं और दुकानदारों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बहरोड और शाहपुरा में पंचायत की जमीन पर गांव वालों के कब्जे के चलते जमीन अवाप्त नहीं हो पा रही है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से ढिलाई के चलते मामला खटाई में पड़ रहा है।

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